अमृत वचन
अमृत-वचन अर्थात् अमृतों (अमर-महापुरुषों) के वचन, जिन महापुरुषों ने अपनी दीर्घकालीन समाज सेवा रूपी तपस्या के फलस्वरूप निचोड़ के रूप में शाश्वत अजर-अमर वाणी, युगों तक प्रेरणापुंज बने ध्येय वाक्य दिए। ये वाक्य हमें सुसंस्कृत करने में सक्षम होते हैं। महापुरुषों ने जिस तत्त्व को, आनन्द को प्राप्त कर लिया है उस आनन्द की प्राप्ति सभी भाई-बहिनों को हो जाय, ऐसा उनका स्वाभाविक प्रयास रहता है । उसी बात को लक्ष्य में रखकर उनकी सभी चेष्टाएँ होती हैं। इस बात की उन्हें धुन सवार हो जाती है। उनके मन में यही लगन रहती है कि किस प्रकार मनुष्यों का व्यवहार सात्त्विक हो, स्वार्थरहित हो, प्रेममय हो, उनके दैनिक जीवन में शान्ति-आनन्द का अनुभव हो और ऊँचे-से-ऊँचा आध्यात्मिक लाभ हो। इसी दिशा में उनका कहना, लिखना एवं समझाना होता है। व्यवहार की ऐसी बातें भी हैं, जिन्हें हम काम में लावें तो हमारे गृहस्थ जीवन में बड़ी शान्ति मिल सकती है। हमारे व्यापार का सुधार हो सकता है, उच्चकोटि का व्यवहार हो सकता है तथा उन बातों को काम में लाकर हम गृहस्थ में रहते हुए, व्यापार करते हुए भगवत्प्राप्ति कर सकते हैं। ऐसे समझने में सरल, उपयोगी, अमूल्य वचन बहुत कम उपलब्ध होते हैं। ऋषि, संत, मनीषि, परिव्राजक सन्यासी अद्वितीय गुणों से युक्त महापुरूष, साहित्यकार एवं वैज्ञानिकों के अनुभव युक्त विचारों के समायोजन का लघु प्रयास "अमृत वचन" में किया गया है। प्रसिद्ध देशभक्त त्यागी, बलिदानी, क्रांतिकारी वीर- जिन्होंने मातृभूमि के चरणों में अपने यौवन रूपी सुगंधित पुष्प को समर्पित कर दिया था, अनेक योद्धा, राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए जेल की कालकोठरियों में भीषण यातनायें सहन करते हुए हंसते- हंसते फांसी के फंदे पर झूल गये थे, उन सबकी प्रज्वलित राष्ट्र-भाव की प्रखर वाणी को भी संजोया गया है। धर्म-संस्कृति, राष्ट्र-भाव हिन्दुत्व एवं मानवीय गुणों के माध्यम से अपने राष्ट्र के आबाल वृद्ध समस्त जन को तथा ऐसे संस्कार केन्द्रों, विद्यालयों के व्यावहारिक रूप से ये "अमृत वचन" सुसंस्कारित कर सकेंगे।
इन्हीं विविध विषयों के अन्तर्गत अनेक अमृत वचन प्राप्त होते है। अस्तु, इस लेख के माध्यम से निम्न विषयों पर प्रकाश डाला गया है।
1. एकता
2. धर्म
3. संगठन
4. विद्या
5. क्षमा
6. राष्ट्र - राष्ट्रीयता
7. उद्योग
8. कर्म
9. पवित्रता
10. पराक्रम