शाखा संबंधी अन्य महत्वपूर्ण बातें

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शाखा संबंधी अन्य महत्वपूर्ण बातें


1. ध्वज का आकर :-

दैनिक शाखा के ध्वज की लंबरूप ऊँचाई तथा ऊपरी छोटा हिस्सा 75 से.मी., मध्य में 37.5 से.मी. तथा निचला बड़ा हिस्सा 94 से.मी. चौड़ाई का हो। बड़े कार्यक्रमों के लिए ध्वज का आकार ध्वजस्तंभ की प्रति एक मीटर ऊँचाई बढ़ने पर ध्वज की लम्बाई 6 से.मी. बढ़ेगी। सामान्यतः 105 तथा 115 से.मी. चौड़ाई के ध्वज उपयोग में लाये जाते हैं।


2. विलंब से आने वाले स्वयंसेवक :-

संपत की आज्ञा के पश्चात् आने वाली प्रथम आज्ञा (संघ दक्ष) के समय जो स्वयंसेवक संपत की रचना में खड़े नहीं हो पाए वे विलंब से आने वाले मानें जायेंगे। ऐसे स्वयंसेवक पहले ध्वज के सम्मुख आकर ध्वजप्रणाम करेंगे। बाद में उपस्थित सर्वोच्च अधिकारी को प्रणाम कर उनकी अनुमति लेकर। अपने गणशिक्षक की अनुमति से गण के कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे। बौद्धिक वर्ग या उस प्रकार के किसी अन्य कार्यक्रम के चालू रहते समय विलंब से आने वाले स्वयंसेवक को इस बात की सावधानी रखनी चाहिये कि उनके आगमन से अन्य स्वयंसेवकों का ध्यान विचलित ना हो, इस प्रकार पीछे की ओर जाकर (जहाँ बैठना हो उस स्थान पर) वहीँ से ध्वज तथा अधिकारी को प्रणाम कर बैठ जाना चाहिये।


3. प्रार्थना के पूर्व जाने वाले स्वयंसेवक :-

यदि कोई स्वयंसेवक किसी कारणवश शाखा समापन के पहले जाना चाहता हो। तो वह पहले गण शिक्षक तथा कार्यवाह की अनुमति लेकर सर्वोच्च अधिकारी को प्रणाम करेगा। तत्पश्चात ध्वज को प्रणाम संघस्थान छोड़ेंगा।


4. शाखा में ध्वज विलंब से आने पर :-

किसी कारणवश शाखा के समय पर ध्वज उपलब्ध नहीं हो सका और शाखा प्रारंभ हुई है तथा विलंब से ध्वज उपलब्ध हुआ तो मुख्यशिक्षक दो लंबी सीटी ( - -) बजाकर सबको ध्वजाभिमुख दक्ष कराएगा। पश्चात् ध्वजारोहण करने वाला स्वयंसेवक ध्वजारोहण कर एक कदम पीछे हटकर ध्वजप्रणाम करेगा। तत्पश्चात मुख्यशिक्षक सीटी (०० ००) बजाकर कार्यक्रम पूर्ववत् प्रारंभ कराएगा। सब स्वयंसेवकों को पुनः ध्वजप्रणाम करने की आवश्यकता नहीं हैं।


5. ध्वज का स्थानांतरण :-

किसी कारण से (आकस्मिक तेज वर्षा आदि) ध्वज को स्थानातंरण करना जरूरी हो गया हो तो ऐसी परिस्थिति में अधिकारी की अनुमति से मुख्यशिक्षक सीटी ( - -) बजाकर सभी को ध्वजाभिमुख दक्ष कराएगा। स्थानांतरित करने वाला स्वयंसेवक ध्वज को प्रणाम कर दोनों हाथों से ध्वज को ध्वजदंड सहित बैठक से उठाकर सुरक्षित स्थान पर ले जायेगा। वहाँ ध्वज को पुनः स्थापित कर एक कदम पीछे हटकर प्रणाम करेगा। पश्चात् मुख्यशिक्षक सीटी (०० ००) बजाकर पूर्ववत की सूचना देगा। तब गणशिक्षक अपने-अपने गण को उचित स्थान पर ले जायेंगे। किसी भी स्थिति में प्रार्थना किये बिना ध्वजावतरण नहीं करना है।


6. दक्ष द्वारा सम्मानित अधिकारी का शाखा में आगमन :-

ध्वजारोहण के पश्चात् यदि दक्ष द्वारा सम्मानित अधिकारी (प.पू. सरसंघचालक, मा.सरकार्यवाह तथा संबंधित मा. संघचालक) संघ स्थान पर आते हैं तो उनका संघस्थान की सीमा में प्रवेश होते ही मुख्यशिक्षक सीटी ( - -) बजाकर सबको ध्वजाभिमुख कराएगा। मा. अधिकारी ध्वज के समुख जाकर ध्वज प्रणाम करेंगे। पश्चात् संघस्थान पर उपस्थित प्रणाम अधिकारी उनके सम्मुख जाकर उन्हें प्रणाम करेगा। पश्चात् मुख्यशिक्षक सीटी (०० ००) बजाकर कार्यक्रम पूर्ववत प्रारंभ कराएगा। मा. अधिकारी के साथ आये हुए सभी अन्य ध्वजप्रणाम कर उनको प्रणाम करेंगे।


7. दक्ष द्वारा सम्मानित अधिकारी यदि प्रार्थना के पूर्व संघस्थान छोड़ रहें हों :-

मुख्यशिक्षक सभी स्वयंसेवकों को सीटी ( - -) बजाकर सबको ध्वजाभिमुख कराएगा। पश्चात् मा. अधिकारी पहले प्रणाम करेंगे। निकटतम कनिष्ठ श्रेणी का अधिकारी संघस्थान की सीमा तक उनके साथ जायेगा और वहाँ पर उनको प्रणाम करेगा। पश्चात् अधिकारी संघस्थान छोड़ेंगे। पश्चात् मुख्यशिक्षक सीटी (०० ००) बजाकर कार्यक्रम पूर्ववत प्रारंभ कराएगा।


8. प्रणाम अधिकारियों का क्रम :-

1. दैनिक शाखा के लिए –

1. पपू. सरसंघचालक, 2. मा. सरकार्यवाह, 3. संबंधित मा. संघचालक (क्रमानुसार), 4. मा. सहसरकार्यवाह, 5. संबंधित कार्यवाह (क्रमानुसार), 6. इनमें क्रम 1,2,3 दक्ष द्वारा सम्मानित किये जायेंगे।

2. संघशिक्षा वर्गों के लिए –

2.1. प्रथम वर्ष में –

1. प.पू. सरसंघचालक, 2. मा. सरकार्यवाह, 3. मा. क्षेत्र संघचालक, 4. मा. प्रान्त संघचालक, 5. मा. वर्गाधिकारी, 6. मा. सहसरकार्यवाह, 7. क्षेत्र कार्यवाह, 8. प्रान्त कार्यवाह, 9. वर्ग कार्यवाह

2.2. द्वितीय एवं तृतीय वर्ष में –

1. प.पू. सरसंघचालक, 2. मा. सरकार्यवाह, 3. मा. सर्वाधिकारी, 4. मा. सहसरकार्यवाह, 5. मा. वर्ग कार्यवाह

2.3. अन्य कार्यक्रमों में –

1. प.पू. सरसंघचालक, 2. मा. सरकार्यवाह, 3. जिस इकाई का कार्यक्रम है उस इकाई अथवा उससे ऊपर की इकाई के संबंधित मा. संघचालक (क्रमानुसार), 4. मा. सहसरकार्यवाह, 5. जिस इकाई का कार्यक्रम है उस इकाई अथवा उससे ऊपर की इकाई के संबंधित कार्यवाह (क्रमानुसार) 

2.4. दैनिक शाखा में यदि उपर्युक्त में से कोई भी अधिकारी उपस्थित नही है तो उनके आने तक मुख्यशिक्षक प्रणाम लेने का काम करेगा। यदि किसी कारण से मुख्यशिक्षक भी उपस्थित नही है तो उस समय शाखा लगाने वाला प्रणाम लेने का कार्य करेगा।


9. प्रणाम की पद्धिति :-

दक्ष स्थिति में दाहिना हाथ शरीर के निकट से झटके से सीने पर लाना। प्रकोष्ठ जमीन के समानांतर, पाँचों उँगलियाँ मिली हुई, हथेली जमीन की ओर, अंगुष्ठमूल सूर्यचक्र के सामने। सिर नीचे झुकाना। हाथ शरीर के निकट से झटके से नीचे, सिर सीधा, दोनों क्रियाएँ एक साथ होंगी। ध्वज प्रणाम, अधिकारी प्रणाम और विकिर के समय किये जाने वाले प्रणाम की पद्धिति में कोई अंतर नहीं है। विकिर के समय प्रणाम करना, संघ की पद्धिति है। किसी व्यक्ति विशेष को यह प्रणाम नहीं है।


10. वर्ष प्रतिपदा पर प.पू. आद्यसरसंघचालक प्रणाम :-

यह प.पू. आद्यसरसंघचालक का जन्मदिवस भी है। अतः इस उत्सव के अवसर पर उन्हें प्रणाम दिया जाता है। आदि उत्सव के लिए अतिथि नियोजित है तो स्वागत प्रणाम व घोष वादन के पश्चात् सर्वोच्च अधिकारी प.पू. आद्यसरसंघचालक जी की प्रतिमा को माल्यार्पण कर प्रणाम करेंगे। तत्पश्चात मुख्यशिक्षक आद्यसरसंघचालक प्रणाम 1,2,3 यह आज्ञा देकर प्रणाम कराएगा तत्पश्चात घोष वादन होगा। ध्वजारोहण, ध्वजप्रणाम आदि कार्यक्रम इसके पश्चात् होंगे।


11. विशेष कार्यक्रमों में ध्वजारोहण :-

दो स्वयंसेवक ध्वजस्तंभ को बीच में रखते हुए ध्वजमंडल में संपत रेखा की ओर दृष्टि करके खड़े रहेंगे। ध्वजवाहक ध्वज की डोरी बायें हाथ में ही पकड़कर खड़ा रहेगा। ध्वज लगाने के लिए दक्ष की आज्ञा मिलने पर ध्वजमंडल के बीच खड़े दोनों स्वयंसेवक एक साथ ध्वज मंडल के बाहर आयेंगें। पहले ध्वजप्रमुख अर्धवृत करेगा बाद में ध्वजवाहक ध्वज की डोर ध्वजप्रमुख को देगा, पश्चात् अर्धवृत करेगा। ध्वजप्रमुख ध्वजारोहण करेगा। ध्वजारोहण के पश्चात् ध्वजप्रमुख ध्वज की डोरी ध्वजवाहक के हाथ में देगा। ध्वजवाहक अपने पूर्व स्थान ध्वजस्तंभ के पास जाकर अर्धवृत कर डोरी को ध्वजस्तंभ पर एक बार लपेटकर (जिससे ध्वज नीचे न आए) बायें हाथ में पकड़कर खड़ा रहेगा। पश्चात् ध्वजप्रमुख प्रणाम कर अपने स्थान पर आकर खड़ा रहेगा।


12. विशेष कार्यक्रमों में ध्वजावतरण :-

ध्वजावतरण के पूर्व ध्वजवाहक तथा ध्वजप्रमुख ध्वजस्तंभ की ओर प्रचल करते हुए ध्वजस्तंभ के क्रमशः दाहिनी एवं बायीं ओर आकर खड़े रहेंगे। ध्वजवाहक ही ध्वज की डोरी को ध्वजस्तंभ से खोलेगा और बायें हाथ में पकड़ेगा। ध्वजप्रणाम आज्ञा मिलने पर दोनों ध्वजप्रणाम करेंगे। पहले ध्वजप्रमुख ध्वजमंडल के बाहर जाकर ध्वजप्रणाम करेगा। पश्चात् ध्वजवाहक ध्वजमंडल के बाहर आकर ध्वजप्रमुख को डोरी देकर अर्धवृत करेगा। ध्वजप्रमुख ध्वजावतरण के पश्चात् डोरी ध्वजवाहक के हाथ में देगा। पश्चात् दोनों ध्वजस्तंभ के पास आकर अपने पूर्व स्थान पर खड़े होंगे। 

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