घर में सभी को मालूम हो


संस्कार घर से ही प्रारंभ होते है अतः घर में सभी सदस्यों को निम्न बाते मालूम होनी चाहिये:-

· जल्दी सोकर जल्दी उठना । दाहिनी ओर से उठना। हाथ को देखते हुए ‘कराग्रे वसते लक्ष्मी'.. शलोक कहना।
· घर से बाहर जाते समय बड़ों को बताकर जाएँ।
· सब अपने काम स्वयं करें।
· बुजुर्गों के काम में हम मदद करें।
· पके हुए आहार व्यंजनों को खरीदकर नहीं लाना, उसको नहीं खाना।
· बिना कारण मिष्ठान नहीं खाना। अकले मिष्ठान नहीं खाना। घर में मिष्ठान को पहले बच्चों को देना, बाद में बड़ों ने खाना।
· Credit Card का उपयोग हितकारी है क्या? किसी को भी बचत का अभ्यास न हो ऐसी Credit Card की दृष्टि है। हर एक परिवार बचत करेगा तो केवल स्वयं का ही नहीं, देश और समाज का भी भला करेगा।
· अच्छे परिवारों में क्या-क्या रहता है? स्वच्छता, सरलता, आपस में प्रीति और विश्वास, तुलसी, ईश्वर के लिए एक स्थान, रंगोली, स्वेदशी स्वभाव, भारत माता का चित्र, महापुरुषों के चित्र, उत्तम वार्तापत्र, सबको सुविधा देने की प्राथमिकता, अतिथियों का आत्मीय स्वागत 'आईये बैठिये' इत्यादि गौरवयुक्त वचन, बैठने के लिए आसन, पीने को पानी देना इत्यादि।
· बड़े, गुरुजन, स्त्रियों, रोगी और बच्चों को प्राथमिकता दें।
· घर में सब वस्तुओं का निश्चित स्थान होना चाहिए। और सब वस्तुएँ उसी स्थान पर रखी जाएँ।
· परिवारजन मातृभाषा में ही बातचीत करें।
· भारत एक देश है, हमारी एक ही संस्कृति है, हम सबका एक ही जनजीवन है।
· हम गो पूजक हैं। गो माता है। वह सब देवताओं का आश्रयस्थान है।
· घर में आनेवालों से जाति के बारे में नही पूछे। किसी भी जाति की निंदा न करें।
· सबको जानकारी रहे ऐसे संस्कृति सम्बन्धित विषय
      मास – चैत्र, वैशाख .......... ।
      राशि – मेष, वृषभ..........
      पक्ष – शुक्ल, कृष्ण ।
      संवत्सर – प्रभव, विभव..।
      ऋतु – वसंत, ग्रीष्म........... ।
      अयन – उत्तरायण, दक्षिणायण।

· समायोचित कुछ श्लोक
      उठते समय – कराग्रे वसते लक्ष्मी
      सोने के पहले – राम स्कद...
      ऐसे ही स्नान, भोजन इत्यादि के समय बोलने के श्लोक बोलें।

· घर में पशुपक्षियों का संरक्षण और पोषण योग्य रीति से हो।
· प्रथम रोटी गाय को और आखिरी रोटी कुत्ते को।
· घर में स्वदेशी वस्तुओं का ही उपयोग हो।
· देश के महापुरुषों की विशेषताओं का स्मरण करने की व्यवस्था हो।
· घर बाहर, अन्दर से स्वच्छ रहे और जमीन साफ सुथरी रहे।
· घर में आए अतिथियों को शरबत, चाय पानी इत्यादि दें।
· अपने घर के साथ अपना परिसर और घर के सामने का रास्ता भी स्वच्छ रहे।
· साधु सज्जन घर में आकर कुछ समय रहें, ऐसी योजना करें।
· घर में मुष्टि धान्य, गोलक इत्यादि नियमित रहे।
· गोग्रास, उपवास, नैवेद्य, प्रसाद, समर्पण इत्यादि शब्दों का परिचय और उपयोग घर में होता रहे।
· घर में बड़ों को सम्मान और छोटों को स्नेह मिलने का वातावरण रहे।
· विद्यालय, महाविद्यालय जाते समय, अन्य समय में भी घर की प्रतिष्ठा बढ़े ऐसा वेष पहनना चाहिएँ।
· सभी काम ठीक समय पर करने चाहिएँ।
· जो वस्तु हमारी नहीं है उसे नहीं उठाना चाहिए।
· सप्ताह में एक बार सारे शरीर को तेल लगाकर स्नान करें।
· गृहकार्य (Home work) बच्चे स्वयं करें। माताएँ उसको करने के लिए आगे नहीं बढ़ें। माता और बच्चों का सम्बन्ध न बिगड़े। यदि बच्चे स्वयं आकर पूछते हैं तो आप को जितना मालूम है उतना बताएँ। मैं ही सब सिखाती हूँ ऐसी भावना ठीक नहीं है।
· सामाजिक समरसता लानेवाले संगठन यथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राष्ट्रीय सेविका समिति, सत्संग मंडली इत्यादि कार्य में सक्रिय होना चाहिए।
· घर में सामाजिक विकास, सामाजिक समस्याओं के बारे में विचार होता रहे और उत्तम कार्यों को सहयोग मिलता रहे।
· घर में वृद्ध, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रचारक इत्यादि आएँ तो बच्चों को उनके साथ रखकर बातचीत करने का अभ्यास करवाएँ।
· बच्चे हर दिन तिथि, वार, नक्षत्र, संवत्सर, मास, पक्षों के नाम दुहराना सीखें, ऐसी व्यवस्था घर में हो।
· बच्चों के विवाह किस आयु में होने चाहिए, इसके बारे में भी उन्हें बताना चाहिए।
· कितने बच्चे हों? व्यक्ति, परिवार, समाज तीनों को सामने रखकर सोचना चाहिए।
· घर में मम्मी, डैडी, अंकल, आांटी इत्यादि शब्दों को छोड़कर दादा, नाना, ताई, माँ इत्यादि सम्बन्ध सूचक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।

सम्बन्ध (Relation ) सूचक शब्द

हिन्दू समाज में आपसी सम्बन्ध का अपना ही एक महत्त्व है। हर समूह अपने में अच्छा सम्बन्ध परखकर विकास करना चाहता है। कई लोग अपनी जड़ को ऋषि-मुनियों से जोड़ लेने में गर्व करते हैं। उसके अनुरूप अपने कुल के सभी रिश्तों को परखकर सम्बन्ध सूचक शब्दों से उनको पुकारने का रिवाज है। हर परिवार में ऐसे सम्बन्ध (Relation) बनना अच्छा है। सम्बन्ध सूचक शब्दों से रिश्तों को पुकारने की संस्कृति का विकास होना चाहिए।

पिता        -     माँ
दादा        -      दादी
परदादा      -     परदादी
नाना       -      नानी
पोता        -     पोती
धेवती       -     धेवता
काका(चाचा)   -     काकी(चाची)
मौसा       -      मौसी
मामा       -      मामी
बड़े पिताजी   -      बड़ी माँ
ताऊ        -      ताई
चाचा        -      चाची
बुआ(फुआ)   -      फूफा
दामाद      -      बहु
भैय्या      -      भाभी
बहन       -      जीजा
भतीजा     -      भतीजी
देवर       -      देवरानी
जेठ       -      जेठानी
भाँजा      -      भाँजी
साला      -      सलहज
साढूं.      -      साली
नन्द      -      नंदोई

निवेदन : ऊपरी शब्दों के अलावा कई और सम्बन्ध सूचक शब्द होंगे ही। कृपया अवगत कराइए।
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