द्वन्द्व के खेल

द्वन्द्व के खेल

Dwandwa ke khel

कंधे से धकेलना (जोड़ी में खेलना) :

क्षेत्र 1 मी. त्रिज्या का मंडल । दो खिलाड़ी अपने हाथ पीछे बांधकर कंधे से प्रतिस्पर्धी को मंडल के बाहर थकेलेंगे।


घोड़ा बाँधो :

दो स्वयंसेवक आमने-सामने हाथ में रूमाल या रस्सी लेकर खड़े रहेंगे। शिक्षक का संकेत पाकर एक दूसरे के पैर को रूमाल (रस्सी) बांधने का प्रयास करेंगे। अपने पैर को दूसरे के रूमाल बंधन से बचाने का प्रयास करेंगे। सर्वप्रथम रूमाल (रस्सी) बांधेगा वह विजयी होकर दूसरे प्रतिस्पर्धी के साथ खेलेगा। इस प्रकार अंत में विजयी होने वाला सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा।


POK किसका :

एक छोटे वृत्त में (1 फूट त्रिज्या) एक स्वयंसेवक खड़ा रहेगा। वह वृत्त POK है। वृत् में खड़ा स्वयंसेवक “POK किसका ?' ऐसा जोर से पूछेगा। बाहर खड़े स्वयंसेवक शड्डू ठोंकते हुए 'हमारा' कहेंगे। तीन बार ऐसा होनेपर प्रत्येक स्वयंसेवक वह स्थान लेने का प्रयास करेगा। शिक्षक द्वारा स्तभ् या सीटी का संकेत मिलनेपर सब रूकेंगे, उस समय जो वृत्त के अन्दर होगा, वह विजयी होगा।


मंडल से खींचो :

सब स्वयंसेवक 3 मीटर त्रिज्या के मंडल में खड़े रहेंगे। एक स्वयंसेवक मंडल के बाहर रहेगा। संकेत पाकर बाहर वाला स्वयंसेवक अंदर वालों को बाहर खीचेंगा। अंदर वाले बाहर वाले को अंदर खींचने का प्रयत्न करेंगे। बाहर वाला मौका पाकर तेज रफ्तार से अंदर घुसते हुए अंदर वालों को मंडल के बाहर निकाल सकता है। जो जो - मंडल के बाहर आएंगे वे बाहर वाले स्वयंसेवक के सहयोगी बनेंगे।


धर्मशाला :

सब स्वयंसेवक 3 मीटर त्रिज्या के मंडल में खड़े रहेंगे। संकेत मिलने पर एक दूसरे को मंडल के बाहर धकेलेंगे। अंत तक रहने वाला विजयी होगा। बाहर निकलने वाले बाद कहलायेंगे।


मेंढ़क युद्ध :

सब स्वयंसेवक ३ मीटर त्रिज्या के मंडल में बैठकर अपने दोनों हाथों से दोनों पैर के अंगूठे (बांए हाथ से बांए पैर का, दाहिने हाथ से दाहिने पैर का अंगूठा ) पकड़ेंगे। उसी स्थिति में एक दूसरे के साथ युद्ध (प्रतिस्पर्धी की स्थिति को तोड़ने का प्रयास करेंगे। अंत तक स्थिति में रहने वाला विजयी कहलायेगा ।


अग्निकुण्ड :

दो स्वयंसेवक ने अपने हाथ एक दूसरे के कंधोपर रखना। दोनों के बीच (4 पैरों के बीच) एक 30 सें.मी. त्रिज्या का मंडल खींचना। प्रत्येक ने अपने प्रतिद्वन्दी का पैर इस मंडल में लाने का प्रयास करना। जिसका पैर मंडल के अन्दर आएगा वह बाद होगा।


प्रतिस्पर्धी को बांधो :

दो स्वयंसेवक आमने सामने खड़े रहेंगे। एक के हाथ में लंबी तथा जमबूत रस्सी तथा दूसरे के हाथ में एक चादर रहेगी। संकेत मिलते ही एक-दूसरे को अपने पास की वस्तू से बांधने का प्रयास करेंगे। रस्सीवालें ने प्रतिस्पर्धी को रस्सी से बांधना तथा चादरवालें ने प्रतिस्पर्धी को चादर में लपेटना । प्रतिस्पर्धी पर पहले काबू पाने वाला विजयी ।


प्रतिस्पर्धी पर मात :

प्रतिस्पर्धी एक-दूसरे के सामने सिद्ध स्थिति में खड़े रहेंगे। उसी स्थिति में एक दूसरे का दाहिना हाथ पकड़ेंगे । संकेत पाकर प्रतिस्पर्धी का हात दबाकर, खींचकर या घुमाकर तोलभ्रंश करना। अपनी स्थिति को कायम रखते हुए प्रतिस्पर्धी का तोभ्रंश या उसे गिराने वाला विजयी होगा।


बाहुबल :

साधारण एक हात अंतरपर दो प्रतिस्पर्धी आमने-सामने खड़े रहेंगे। वे अपने हाथ सीधे कर अपनी हथेलियां प्रतिस्पर्धी के हथेलियों पर रखेंगे। संकेत पाकर प्रत्येक एक-दूसरे को जोर लगाकर पीछे धकेलेंगे। अपनी जगह से दो कदम हटनेवाला बाद होगा। दूसरा विजयी ।


वृश्चिक युद्ध :

एक स्वंयसेवक के दोनों पैर दूसरे ने पीछे से अपनी कमर के पास पकड़कर ऊपर उठाना। पहले स्वंयसेवक के हाथ जमीन पर रहेंगे, यह वृश्चिक (बिच्छ) स्थिति होगी। इस प्रकार अनेक जोडियां तैयार करना । इसमें एक बिच्छू ने दूसरे को गिराना। जो बिच्छू गिर जाएगा, वह बाद होगा। अंत तक रहनेवाला वृश्चिक विजयी होगा।


घुड़सवार सेना:

एक स्वंयसेवक के पीठ पर दूसरे ने बैठना, पैर सामने। यह घुड़सवार होगा। खींचने पर नीचे गिरनेवाला या पीठपर से उतरनेवाला घुड़सवार बाद होगा। (मंडल मर्यादा के बाहर जानेवाला भी बाद ।)


दीवार युध्द :

दो दल के स्वंयसेवक पास-पास दो ततियों में एक दूसरे की ओर पीठ करके खड़े रहेगे। प्रत्येक स्वंयसेवक अपने बाजूवाले की कोहनी में अपनी कोहनी डालकर संकल बनाएंगे। संकेत मिलते ही प्रत्येक तति दूसरी तति को पीठ से दो मीटर पीछे धकेलने का प्रयास करेगी जो दल पीछे हटेगा या जनिकी दीवार टूटेगी वह तति पराजति होगी।


नाव युद्ध:

तीन स्वंयसेवक कोहनी से संकल बनाएंगे। यह एक नौका तैयार होगी। ऐसी अनेक नौकाओं का युध्द होगा। जिस नौका की शृंखला टूटेगी वह नौका बाद होगी।


प्रकोष्ठ दबाना :

जोडी में स्वंयसेवक आमने-सामने बैठेंगे। हाथ की कोहनी जमीन पर टिकाना और प्रकोष्ठ खड़ा करना । दो स्वंयसेवक हथेलियां आपस में फसाएंगे । संकेत मिलने के बाद प्रतिस्पर्धी का प्रकोष्ठ जमीन पर टिकाने वाला विजयी होगा।


रेखा पर खड़े रहो :

अपने पैरों के अंगुठे हाथ से पकड़ना और एक रेखा पर (शिक्षक द्वारा खींची हुई) सभी स्वंयसेवक इसी स्थिति में संकेत मिलने पर स्थान पाने का प्रयत्न करेंगे। जन्हिं स्थान नहीं मिलेगा वे बाद होंगे। हर बार रेखा की लम्बाई कम करनी चाहिए।


पीछे धकेलना :

दो स्वंयसेवको ने आमने-सामने खड़े होकर अपना सिर एक दूसरे के कंधे पर रखना और दूसरे का हाथ पकड़ना, सीने से दूसरे को पीछे धकेलना। मर्यादा रेखा के बाहर जाने वाला बाद होगा।


भालू युध्द :

प्रतिस्पर्धियों ने अपने पैर के अंगुठे हाथ से पकड़ना और दूसरे को गिराना या उसके हाथ छुडाना।


दंड खीचना :

दो प्रतिस्पर्धी एक दूसरे की ओर पीठ कर खड़े रहेंगे, हाथ ऊपर। दोनों स्वंयसेवको के हाथों में एक ही दण्ड ऊपर पकड़ा हुआं रहेगा। प्रत्येक ने अपने सीने के सामने दण्ड लाने का प्रयास करना। ऐसा दण्ड लानेवाला विजयी होगा।


चोर घाटी :

1 मी & 2 मी. चतुष्कोण में एक स्वंयसेवक (चोर) खडा रहेगा, यह चतुष्कोण घाटी है। सभी स्वंयसेवक इसी घाटी को पार करेंगे। चोर सबको पकड़ने का प्रयास करेगा। जो पकड़ा जाएगा। 


स्काग युद्ध:

6-12 स्वयंसेवक, 2 मी. त्रिज्या का मंडल । सभी मंडल के भीतर अपने हाथ पीछे बांधकर खड़े रहेंगे। संकेत के बाद एक दूसरे को कंधे से मंडल के बाहर धकेलेंगे।


रूमाल अपहरण:

जोड़ी में खोलना, क्षेत्र 1 मी. त्रिज्या का मंडल । मंडल के भीतर अपने घुटने को रूमाल बांधकर खिलाड़ी खड़े रहेंगे। संकेत के पश्चात प्रतिस्पर्धी के रूमाल का अपहरण करेंगे।


सिर पर आघात :

जोड़ी में खेलना दों स्वयंसेवक अपने बांए हाथ से दंड के दो छोर पकड़ेंगे। दाहिने हाथ से प्रतिस्पर्धी के सिरपर 3 बार आघात करनेवाला विजयी होगा।


रथ युद्ध:

15-20 स्वयंसेवका एक स्वयंसेवक सामने खड़ा रहेगा। बांयी बाजू का पिछला स्वयंसेवक अपना दाहिना हाथ सामनेवाले स्वयंसेवक के दाहिने कंधे पर रखेगा और बांए हाथ से बांया हाथ पकड़ेगा। दाहिनी बाजू का पिछला स्वयंसेव अपना बांया हाथ सामनेवाले स्वयंसेवक के बांए कंधे पर रखेगा और दाहिने हाथ से दाहिना हाथ पकड़ेगा। चौथा स्वयंसेवक स्वयंसेवको के हाथों पर बैठेगा। यह रथ की रचना है। रथों का आपस में युध्द होगा ।


समूह खींचें:

6-12 स्वंयसेवक । मध्य रेखा की दोनों ओर एक-एक मीटर पर सभी स्वयंसेवक दोगों में एक दूसरे के सामने खड़े रहकर अपने हाथ से सामनेवाले स्वयंसेवक के हाथ की कोहनी पकड़ेंगे। संकेत होने के बाद प्रतिस्पर्धी गट को अपनी ओर खींचना।



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