दो दलों के खेल

दो दलों के खेल

rss games of two teams

आह्वान कबड्डी :

दो दल आमने - सामने 17-20 मीटर की दूरी पर खिंची रेखाओं पर खड़े रहेंगे। प्रत्येक दल का एक एक स्वयंसेवक दूसरे दल पर आक्रमण करेगा। आक्रमक 'कबड्डी कबड्डी' कहते हुए आक्रमण करेगा उस समय प्रतिस्पर्धी दल का प्रत्येक स्वयंसेवक अपना बांया हाथ नीचे (कमर की सीध में, हथेली ऊपर की ओर) और दाहिना हाथ ऊपर (सिर के सीध में हथेली नीचे की ओर) इस स्थिति में खड़ा रहेगा। आक्रमक प्रतिस्पर्धी दल में से किसी को भी स्पर्श कर (नीचे के हथेली को अपनी स्थान की ओर भागेगा। जिस स्पर्श किया है, वह आक्रमक को पकड़ने या स्पर्श करने के लिए उसका पीछा करेगा। आक्रमक अपने स्थान पर पहुँचने के पहले यदि पकड़ा या स्पर्श किया जाता है, तो उस स्थिति में आक्रमक बाद होगा। सही सलामत पहुँचने पर प्रतिस्पर्धी दल का स्पर्श किया गया स्वयंसेवक बाद होगा। 'कबड्डी कबड्डी' यह श्वास वापस जगह तक लाना चाहिए।


राम-रावण :

दो दल आमने-सामने खड़े होंगे। दोनों के बीच एक रेखा खींचनी चाहिए। सभी इस प्रकार रेखा पर अपना एक पैर रखकर खड़े रहेंगे। इसमें एक दल राम और दूसरा रावण होगा। शिक्षक 'रा-रा-रा-' कहते हुए अचानक किसी एक दल नाम पुकारेगा। जिस दल का नाम पुकारा जाएगा वह दल पीछे अपनी सीमा रेखा तक भागेगा और दूसरा उनका पीछा करेगा। सीमा रेख के अंदर शिक्षक संकेत होने तक पकड़े जाने वाले बाद होंगे। जिस दल के स्वयंसेवक अधिक बचेंगे वह दल विजयी होगा।


दरी- पहाड़ :

दो दल कुछ दूरी दखकर आजू-बाजू में खड़े रहेंगे। उनके सामने निश्चित दूरी पर एक स्पर्श रेखा रहेगी प्रत्येक दल का पहला स्वयंसेवक पैरों में अंतर लेकर (दरी) खड़ा रहेगा, उसके पीछे का दूसरा स्वयंसेवक कमर में झुककर (पहाड़) खड़ा रहेगा, उसके पीछे तीसरा 'दरी' की स्थिति में, चौथा 'पहाड़' की स्थिति में, इस प्रकार दोनों दल खड़े रहेंगे। संकेत होते ही सबसे पीछे खड़ा स्वयंसेवक दरी के नीचे से व पहाड़ के ऊपर से क्रमशः घुसते व लाँघते हुए स्पर्श रेखा तक जाएगा। स्पर्श रेखा को स्पर्श कर वापस सीधा दौड़ते हुए दल के पीछे के स्वयंसेवक को स्पर्श करेगा तथा उसका स्थान वह जिस स्थिति में है उस प्रकार लेगा । स्पर्श पाने वाला स्वयंसेवक उसी प्रकार दरी-पहाड़ लांघते हुए दौड़ पूरी करेगा और पीछे से लांघते हुए अपने सामने वाले को स्पर्श करेगा। यह ध्यान में रखना है कि प्रत्येक स्पर्धक को दल के सभी को लांघकर जाना है। सर्वप्रथम स्पर्धा पूर्ण करने वाला दल विजयी होगा।


सर्पनिद्रा :

दो दल कुछ ही दूरी पर आजू-बाजू में खड़े। दोनों दल के प्रत्येक स्वयंसेवक अपना बांया हाथ अपने दोनों पैरो के बीच में से पीछे वाले के दाहिने हाथ में देगा। पहले स्वयंसेवक का दाहिना तथा अंतिम स्वयंसेवक का बाया हाथ खुला रहेगा। संकेत मिलते ही अंत का स्वयंसेवक नीचे बैठकर धीरे-धीरे पीठ के बल लेटेगा। इस प्रकार अंत से दुसरा, तीसरा...... स्वयंसेवक उसी स्थिति में पीछे आते हुए जमीन पर लेटेगा। दल का प्रथम स्वयंसेवक जमीन पर लेटते हुए फिर उसी प्रकार क्रमशः उठकर आगे बढेगा। इस प्रकार पूरा दल उठकर खडा होते ही खेल समाप्त होगा। प्रथम काम पूर्ण करने वाला दल विजयी होगा। लेटते समय अथवा उठते समय हाथ नहीं छुटने चाहिए।


डमरू दौड़ :

दो दल आमने-सामने 10 मीटर की दूरीपर एक-दूसरे की ओर मुँह कर तति में खड़े रहेंगे। संकेत होते ही दोनों दलों के प्रथम स्वयंसेवक दोनों दलो की तति से बने हुए चतुष्कोण के कर्णों पर से डमरू जैसे (अंग्रेजी 8 जैसी) दौड़कर अपना स्थान के पीछे बी ग्रहण करेंगे। तुरन्त दूसरा स्वयंसेवक यही काम करेगा। जिस दल का अंतिम स्वयंसेवक यह काम पहले पूर्ण करेगा, वह दल विजयी होगा।


खरगोश और कछुआ :

दो दल एक दूसरे के पीछे दो ततियों में खड़े रहेंगे। उने सामने 17 मीटर पर एक पहली स्पर्श रेखा और उसके पीछे 20 मीटर पर अंतिम स्पर्श रेखा रहेगी। शिक्षक द्वारा स्थिति कहते ही प्रथम तति मेंढ़क के सामने तथा दूसरी तति दौड़ने की स्थिति में आवेगी। शिक्षक द्वारा संकेत मिलते ही प्रथम तति (कछुए) मेंढ़क कद लेते हुए पहली सीमा रेखा तक जाएगी। हरेक कछुए के पीछे उसका प्रतिस्पर्धी खरगोश प्रारंभ में दौड़ने खडा है। जैसे ही प्रतिस्पर्धी कछुआ प्रथम सीमा रेखा को स्पर्श करेगा, तुरंत ही वह (खरगोश) दौड़ना प्रारंभ करेगा। दौड़ते हुए वह प्रतिस्पर्धी कछुए के ऊपर से छलांग लगाकर अंतिम स्पर्शरखा को स्पर्श करने के लिए जाएगा। कछुआ जैसे ही उसका प्रतिस्पर्धी उसके ऊपर से छलांग लगायेगा, तुरंत अर्धवृत् कर मेंढ़क के समान कूदते हुए अपने स्थन पर आने का प्रयास करेगा। खरगोश अंतीम स्पर्श रेखा को स्पर्श कर दौड़ते हुए वापस आएगा। जो पहले पहुँचेगा, वह विजयी । अधिक संख्या में सफल होने वाला दल विजयी होगा ।


खजाना लूटो :

समान संख्या के दो दल कुछ दूरी पर आमने-सामने तति में खड़े रहेंगे। प्रत्येक स्वयंसेवक 1 छोटे मंडल में खड़ा रहेगा। सब को क्रमांक दिए जाएंगे। दोनों दलों के बीच मध्य में बने एक छोटे मंडल में शिक्षक विषम संख्या में कुछ वस्तू (पत्थर, चप्पल इ.) रखेगा। शिक्षक जो क्रमांक पुकारेगा वे दोनों दौड़ते हुए आकर एक- एक उठाकर स्वयं के मंडल में रखते जाएंगे। अधिक वस्तू लेने वाले को एक अंक मिलेगा। एक बार एक ही वस्तू ले जानी चाहिए।


खो-खो स्पर्धा :

सभी स्वंयसेवक दो गुटों में खो-खो की पध्दति से बैठेंगे। अन्त का स्वंयसेवक स्पर्श रेखा तक दौड़कर वापस आएगा और पहले स्वयंसेवक को खो देगा। पहला दूसरे को, दूसरा तीसरे को इस प्रकार अंतिम स्वंयसेवक को खो मिलने पर वह दौड़ना प्रारंम्भ करेगा । निश्चित मर्यादा तक दौड़कर (स्पर्श रेखा तक) प्रथम वापिस आने वाला गट विजयी होगा ।


पत्थर वहन :

प्रत्येक दल के प्रथम स्वंयसेवक ने रेखा तक जाकर पत्थर रखना, दूसरे ने पत्थर लाना। यह कृति क्रमशः चलेगी। जिस दल का यह काम प्रथम पूर्ण होगा, वह विजयी होगा।


अखण्ड लम्बी कूद :

प्रथम स्वंयसेवक दोनों पैर जोडकर लम्बी कूद लेगा। दूसरे ने उस स्थान से पुनः लम्बी कूद (पैर जोडकर लेना। पूरे दल की मिलाकर कद की लम्बाई जिनकी अधिक होगी वह दल विजयी होगा।


प्रथम चलो :

प्रत्येक दल के प्रत्येक स्वयंसेवक के क्रमशः क्रमांक होंगे। मैदान में दोनों दल दौड़ेंगे। शिक्षक जिस क्रमांक की घोषणा करेगा, उस क्रमांक के स्वंयसेवक शिक्षक के पास पहुँचेंगे। देरी से पहुँचने वाला बाद होगा। जिस दल के अधिक स्वयंसेवक प्रथम पहुँचेंगे वह दल विजयी होगा।


अपरिचित साथी :

प्रत्येक दल के प्रत्येक स्वयंसेवक को क्रमांक दिया रहेगा। दोनों दल मैदान में दौड़ेगे। शिक्षक के संकेत करते ही अपने क्रमांक का साथी ढूंढकर निश्चित स्थान पर पहुँचना । जो जोडी अंत में आएगी वह बाद होगी ।


सुरंग :

दो दलो के स्वंयसेवक आमने-सामने तति में खड़े रहेंगे। एक स्वंयसेवक दोनों ततियों के बीच से दौड़ता हुआ जाएगा। तति में खड़े स्वंयसेवक अपना स्थान न छोड़ते हुए दौड़ने वाले के पीठ पर मारेंगे।


उडती मछली :

दो दलों के स्वंयसेवक आमने-सामने तति में खड़े रहेंगे। अपने हाथ सामने वाले के कंधे पर रखेंगे। एक स्वंयसेवक ने दूर से दौड़ते हुए आकर तति के स्वंयसेवको के हाथों पर कूदकर गिरना । पीठ ऊपर, शरीर सीधा । शेष स्वंयसेवको ने अपने हाथों पर से उछालकर आगे फैंकना। यह क्रिया स्वंयसेवक पूरा अंतर पार करते तक चलेगी।


शक्ति परिचय (प्रकार 1 ) :

दोनों दलों के खिलाड़ी आगे - पीछे एक दूसरें की कमर पकड़कर श्रृंखला बनायेंगे, शुरू के दोनों खिलाड़ी हाथ या रस्सी पकडे़गे । दूसरे दल को खींचकर अपनी ओर ले आने वाला दल विजयी होगा।


रस्सी खींच :

एक मजबूत लंबी रस्सी को दोनों दलों के स्वंयसेवको ने आधे आधे हिस्से में पकड़ना और अपनी ओर 3 कदम खींचना । ऐसा करने वाला दल विजयी होगा। (आवश्यकता होने पर रस्सी को मध्य में रूमाल बांध सकते है।)


मेंढ़क कूद :

15-20 स्वंयसेवक, क्षेत्र की लंबाई 5 मीटर। सभी स्वयंसेवक 3 या 4 गटों में खड़े रहेंगे। प्रारंभ रेखा से स्पर्श रेखा तक मेंढ़क कूद से जाना और दौड़ते वापिस आना।


अखंड श्रृंखला :

16-20 स्वंयसेवक, क्षेत्र की लंबाई 5 मीटर । सभी स्वयंसेवक 3 या 4 गटों में खड़े रहेंगे। हर एक स्वयंसेवक ने बांया हाथ दो पैरों के बीच में से पीछे लेना। पिछले स्वयंसेवक ने दाहिने हाथ से आगे के स्वयंसेवक का बांया हाथ मणिबंध में पकड़ना और पूरे गट की एक अखंड श्रृंखला तयार करना । संकेत होने के बाद प्रारंभ रेखा तक दौड़कर प्रतिभ्रम करना और प्रारंभ रेखा तक वापिस आकर प्रारंभिक स्थिति में खड़े होना। (श्रृंखला का अखंडत्व अपेक्षित है।)


रूमाल की यातायात :

15-20 स्वयंसेवक, क्षेत्र की लंबाई 8 मीटर । सभी स्वंयसेवक 3 या 4 गटों में प्रारंभ रेखा पर खड़े रहेंगे। हर एक गट के सामने 3 मीटर पर रूमाल रहेगा। दोडने वाले स्वंयसेवक ने वह रूमाल उठाकर २ मीटर दूरी के इष्ट स्थान पर रखकर स्पर्श रेखा तक जाना । वापिस आते समय रूमाल उठाकर प्रारंभिक स्थान पर रखना।


धीमी गतिः

16-20 स्वयंसेवक, क्षेत्र 5 मी. अंतर । सभी स्वयंसेवक 3-4 गों में प्रारंभ रेखा पर खड़े रहेंगे। संकेत के बाद स्पर्श रेखा तक लंगडी कूद में जाना और पैर बदल कर लंगडी कूद में लौटना।


मंडल की दौड़ :

16-20 स्वयंसेवक, क्षेत्र 5 मी. अंतर। सभी स्वयंसेवक 3 या 4 गटों में प्रारंभ रेखा पर कोहनी में हाथ अटका कर मंडल रचना में खड़े रहेंगे। संकेत के पश्चात स्पर्श रेखा तक मंडल में दौड़ना और लौटना। 



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