चर्चा बिंदू - नगर पर करणीय कार्य
"करणीय कार्य" का अर्थ है "करने योग्य कार्य" या "जो किया जाना चाहिए"। यह उन कार्यों को संदर्भित करता है जो किसी व्यक्ति या समूह द्वारा किए जाने चाहिए, आमतौर पर किसी विशिष्ट उद्देश्य या जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए। "करणीय कार्य" उन कार्यों को दर्शाता है जो किसी व्यक्ति या समूह के लिए आवश्यक या अपेक्षित होते हैं।
नगर पर करणीय कार्य
- सभी योजनाओं के क्रियान्वयन की धुरी नगर है इसलिए प्रत्येक प्रवासी की केंद्रीय शाखा निश्चित करना।
- प्रत्येक प्रवासी की केन्द्रीय शाखा निश्चित करना, शाखा विहीन बस्ती के लिए बस्ती प्रमुख तय करना।
- शाखा प्रथम - जीवन में।
- प्रत्येक बस्ती शाखा युक्त।
- प्रवास योजना।
- आत्मीयता का भाव सभी स्तर पर।
- सिर्फ कार्यक्रम कर्ता नहीं कार्यकर्ता बनने /बनाने का स्वभाव।
- प्रत्येक शाखा टोली युक्त करना (टोली के 4 बिंदु - स्वयंस्फूर्त टोली, साप्ताहिक बैठक हो, शाखा के अतिरिक्त न्यूनतम 1 घंटा समय लगाने वाली कार्यकर्ता टोली, मासिक गृह संपर्क करने वाली टोली)।
- शाखा की वार्षिक योजना बैठक।
- नगर पर मुख्य शिक्षक व कार्यवाह बैठक, अभ्यास वर्ग, शाखा टोली की नगर पर 4 मास में एक बार बैठक व मासिक नगर / मंडल एकत्रीकरण आदि कार्यक्रम या बैठकों का क्रियान्वयन।
- संघ परिचय वर्ग करना तथा नए प्रयोगों को प्रेरित व प्रोत्साहित करना।
- शाखा की तरह मिलन भी अपनी कार्यपद्धति का भाग है इसको पुष्ट करने की योजना करना।
- शाखा वार्षिकोत्सव व वार्षिक योजना सुनिश्चित करना, जहाँ सभव हो वार्षिकोत्सव समाज के साथ मिलकर करना।
- प्रत्येक शाखा का उपक्रम तय करवाना ( एक से अधिक भी हो सकते हैं)।
- नए प्रयोगों को प्रेरित व प्रोत्साहित करना - सायं समय में दादा पोता एकत्रीकरण, परिवार मिलन कार्यक्रम, Summer Camp, Career Counselling।
- अधिकाधिक उत्सव शाखा स्तर पर हों।
- प्राथमिक व संघ शिक्षा वर्ग पूरे वर्षभर का विषय है, उनकी सूची सदैव उपलब्ध रहै ऐसी योजना करना।
- प्रत्येक स्वयंसेवक की विस्तृत जानकारी एकत्र करते हुए उनका सर्वेक्षण करवाना।
- इस वर्ष कुछ उत्सव विद्यार्थी भाग के अलग या शाखा स्तर पर मनाने का प्रयास।
- नगर एकत्रीकरण के स्थान पर मंडल एकत्रीकरण - मासिक।
- नगर एकत्रीकरण की आवृति 3 माह में रख सकते हैं।
- शाखा टोली का प्रशिक्षण।
- विद्यार्थी शाखाओं पर शाखा पालक तय करना।
- बस्ती कॉलेज विद्यार्थी प्रमुख तय करना।
- महाविद्यालयों में कार्य, संस्थानों में कार्य, छात्रावासों में कार्य, CLUSTER क्षेत्रों में कार्य।
- प्रत्येक मॉस की 16 तारीख को दंड प्रहार यज्ञ रहैगा, 1000 संख्या के प्रहार, कितने स्वयं सेवकों द्वारा प्रहार नगर पर बताये उसी दिन।
- शाखा के नियमित होने वाले शारीरिक व बौद्धिक कामो को रोज अवश्य करवाए ।
- घोष के स्वयंसेवकों के साप्ताहिक/पाक्षिक अभ्यास वर्ग।
- प्रवास की अच्छी योजना।
- अल्पकालीन विस्तारक योजना।
- गणवेश दिवस।
- शाखा टोली प्रशिक्षण वर्ग वर्ष 2 बार।
- अल्पकालीन विस्तारक संख्या प्रति शाखा बढ़ाना।
- कार्यक्रम (अखंड भारत, महाविद्यालयीन परिचय वर्ग etc)।
- आकिस्मक कार्यों के लिए 25-30 स्वयंसेवको का समूह।
- साप्ताहिक घोष अभ्यास वर्ग।
- साप्ताहिक अभ्यास वर्ग।
- न्यूनतम 3 स्वयंसेवक - बौद्धिक देने में सक्षम।
- किसी 1 शारीरिक विषय में उत्कृष्ट हो/ शिक्षक हो।
- लयबद्ध प्रार्थना बोलने वाले 10 कार्यकर्ता।
- नगर शिशु संचलन।
- संघ शिक्षा वर्ग- शिक्षार्थी, प्रबंधक, शिक्षक।
- 35 वर्ष से कम आयु के द्वितीय व तृतीय वर्ष शिक्षित स्वयंसेवकों का विशेष अभ्यास।
- शाखा पालक-विद्यार्थी शाखाओं में।
- ज्येष्ठ कार्यकर्ताओं का वर्ष में एक दो बार मिलन।
- 12 माह वाले कार्यकर्ता बनने का स्वभाव।
- वर्ष में अपने संगठन का शताब्दी वर्ष है उससे पूर्व सभी बस्ती शाखा युक्त करने का लक्ष्य।
- सूचना के बाद उस दिशा में सोचना प्रारम्भ करना, संघ कार्य के लिए अन्य कार्यों को थोड़ा Adjust करने का अभ्यास।
- किसी अपेक्षित जगह पर पहुंचने में असमर्थता होने पर जिस इकाई का कार्यक्रम हो वहाँ पूर्व अनुमति लेने का अभ्यास।
- पूर्वयोजना - पूर्णयोजना।
- Think Beyond Conventional.
- SWOT Analysis.
- गुण निर्माण Focus - व्यक्तित्व, कर्तित्व, नेतृत्व, विवेक अवंभक्ति।
- Urgent व Important का समन्वय।
- शाखा विस्तार योजना का क्रियान्वयन (पूर्णबस्ती, पूर्णमंडल व पूर्णनगर करने की योजना ):-
- पूर्णबस्ती - 1 प्रौढ़, 1 तरुण, 1 विद्यार्थी शाखा।
- पूर्णमंडल - 2 प्रौढ़, 2 तरुण, 2 विद्यार्थी शाखा व सभी बस्ती शाखा युक्त।
- पूर्णनगर - 5 प्रौढ़, 5 तरुण, 4 विद्यार्थी, 1 कॉले ज विद्यार्थी व सभी बस्ती शाखा युक्त।
घोष श्रेणी नगर पर करणीय कार्य
- नगर घोष केन्द्र की व्यविस्थत योजना व क्रियान्वयन।
- नगर के घोष वादकों की सूची।
- नगर पर घोष कार्यभाग का अलग से रजिस्टर तैयार हो।
- नए वादक निर्माण हैतुयोजना।
- शाखा घोष शिक्षक सभी शाखाओं पर योजना - स्कूल विद्यार्थी शाखा, कॉलेज विद्यार्थी शाखा, तरूण व्यवसाय शाखा।
- मास में एक बार सभी शाखा घोष शिक्षक के साथ बैठक करना।
- हम सभी घोष वादक हैं अपना निरंतर अभ्यास चलता रहै इस ओर विशेष ध्यान करना चाहिए।
- नगर पर कोई घोष का कार्यक्रम में सोच सकते हैं उदहारण के लिए संचलन, वार्षिक उत्सव ।
- अपने प्रवास घोष आधारित तय हो।
- पूर्वयोजना - पूर्णयोजना।
- सूचना के बाद सोचना नहीं।
- सभी घोष वादक - उनका गणवेश पूर्ण हो इस और भी हमारी चिंता रहनी चाहिए।
- प्रान्त घोष वर्ग में अपने नगर से न्यूनतम 5 संख्या जाए इसके लिए हमें पूरे वर्ष प्रयास करना चाहिए ।
- प्रगत वादकों को जिले पर भेजने की योजना।
- शाखा प्रथम - जीवन में।
- हम सभी घोष वादक हैं उससे पहले हम सभी एक स्वयंसेवक हैं इसे हमें भूलना नहीं चाहिए ।
- सिर्फ कार्यक्रमकर्ता नहीं कार्यकर्ता बनने और बनाने की भूमिका।
- आत्मीयता का भाव सभी स्तर पर।
- पूरे वर्ष में हम कोई भी 1 मास तय करके घोष विस्तार के लिए भी प्रयास कर सकते हैं ।
- नगर विद्यार्थी कार्यप्रमुखों से समन्वय।
- नगर पर एक प्रगत वादकों का पथक निम्न अनुपात में:-
- आनक 02
- शंख - 04
- वंशी - 12
- झल्लरी - 01
- त्रिभुज - 01
- प्रणव 01
- श्रृंग - 02
- घोष दंण्ड - 01
- कुल योग - 24
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