चर्चा बिंदू - शाखा स्तरीय करणीय कार्य

चर्चा बिंदू - शाखा स्तरीय करणीय कार्य

Charcha Bindi Shakha Karniya Karya

"करणीय कार्य" का अर्थ है "करने योग्य कार्य" या "जो करना चाहिए।"  यह किसी विशिष्ट लक्ष्य या कर्तव्य को पूरा करने के लिए किसी व्यक्ति या समूह द्वारा किए जाने वाले कामों को शामिल करता है।  "करणीय कार्य" शब्द किसी व्यक्ति या समूह के लिए आवश्यक या अपेक्षित कार्यों को बताता है। अपनी पढ़ाई के साथ कोई समझौता न करे अगर आप पढ़ने में अव्वल है तभी सच्चे स्वयंसेवक है । हम स्वयंसेवक है ये कभी न भूले, अपनी अच्छी आदतो में हमेंशा वृद्धि करते रहै ।


शाखा स्तरीय

शाखा पर करणीय कार्य (शाखा कार्यवाह)

  1. सभी योजनाओं के क्रियान्वयन की धुरी शाखा हैं, इसलिए अपनी शाखा कार्यकर्ता निर्माण में अग्रणी हो यह निश्चित करना चाहिए।
  2. शाखा क्षेत्र का भगोलिक ज्ञान।
  3. समाज में संपर्क बनाते हुए, शाखा से जोड़ने का कार्य।
  4. स्वयंसेवकों एवं अपनी पढ़ाई / कार्य की चिंता एवं समाधान।
  5. प्रतिदिन संघ कार्य के लिए 3 Hour लगाने का प्रयास करना चाहिए।
  6. शाखा के स्वयंसेवको के लिए प्रेरणा स्तोत्र।
  7. कार्यक्रमकर्ता नही कार्यकर्ता बनना एवं बनाना, कार्य क्रम से कुछ प्राप्त हो ऐसा ध्यान करना।
  8. गुण निर्माण Focus - व्यक्तित्व, कर्तित्व, नेतृत्व, विवेक अवभक्ति।
  9. आत्मीयता का भाव सभी स्तर पर।
  10. शाखा को आत्मनिर्भर बनाना।
  11. शाखा को टोली युक्त करना (टोली के 4 बिंदु - स्वयंस्फूर्त टोली, साप्ताहिक बैठक हो, शाखा के अतिरिक्त न्यूनतम 1 घंटा समय लगाने वाली कार्यकर्ता टोली, मासिक गृह संपर्क करने वाली टोली ) - 7 दायित्व - शाखा पालक, शाखा कार्यवाह, मुख्यशिक्षक, गणशिक्षक (15 स्वयंसेवक पर 1) गटनायक (8 संख्या पर 1 ), शाखा घोष शिक्षक, शाखा उपक्रम प्रमुख।
  12. शाखा की वार्षिक योजना बैठक।
  13. शाखा टोली बैठक - साप्ताहिक।
  14. शाखा विस्तार योजना का क्रियान्वयन।
  15. शाखा वार्षिकोत्सव, जहाँ सभव हो वार्षिकोत्सव समाज के साथ मिलकर करना ।
  16. प्रत्येक शाखा का उपक्रम तय करवाना (एक से अधिक भी हो सकते हैं ) - शाखा को क्षेत्र से जोड़ना ।
  17. Think Beyond Conventional- नए प्रयोगों को प्रेरित व प्रोत्साहित करना - सायं समय में दादा- एकत्रीकरण, परिवार मिलन कार्यक्रम, Summer Camp, Career Counselling।
  18. प्रत्येक स्वयंसेवक की विस्तृत जानकारी एकत्र करते हुए उनका सर्वेक्षण करवाना।
  19. शाखा टोली का प्रशिक्षण।
  20. प्रत्येक मॉस की 16 तारीख को दंड प्रहार यज्ञ रहैगा, 1000 संख्या के प्रहार, कितने स्वयंसेवकों द्वारा प्रहार नगर पर बताये उसी दिन ।
  21. अपना विकल्प तैयार करना।
  22. 12 माह वाले कार्यकर्ता बनने का स्वभाव।
  23. टोली में दिशा निर्देशन की भूमिका।
  24. सूचना के बाद उस दिशा में सोचना प्रारम्भ करना, संघ कार्य के लिए अन्य कार्यों को थोड़ा Adjust करने का अभ्यास।
  25. किसी अपेक्षित जगह पर पहुंचने में असमर्थता होने पर जिस इकाई का कार्यक्रम हो वहाँ पूर्वअनुमति लेने का अभ्यास।
  26. पूर्वयोजना - पूर्णयोजना।
  27. Think beyond conventional।
  28. SWOT Analysis।
  29. Urgent व Important का समन्वय।


शाखा पर करणीय कार्य (मुख्य शिक्षक)

  1. सभी योजनाओं के क्रियान्वयन की धुरी शाखा हैं, इसलिए अपनी शाखा कार्यकर्ता निर्माण में अग्रणी हो यह निश्चित करना चाहिए। 
  2. शाखा क्षेत्र का भगोलिक ज्ञान।
  3. शाखा समय पर लगे, पहले ऐसा कहा जाता है, पार्क में लोग अपने अपनी घड़ी मुख्यशिक्षक की सीटी से मिलाते है।
  4. स्वयंसेवकों एवं अपनी पढ़ाई / कार्य की चिंता एवं समाधान।
  5. आचार विभाग की अच्छी जानकारी, अच्छी समता करने व करवाने वाला।
  6. प्रतिदिन संघ कार्य के लिए 2.5 hour लगाने का प्रयास करना चाहिए।
  7. अनुशासन का पालन ( शाखा में कसाई, शाखा के बाद गाय)।
  8. संघस्थान की अच्छी व्यवस्था।
  9. शाखा के स्वयंसेवको के लिए प्रेरणा स्तोत्र, गुण निर्माण पर focus।
  10. कार्यक्रमकर्ता नही कार्यकर्ता बनना एवं बनाना, कार्यक्रम से कुछ प्राप्त हो ऐसा ध्यान करना।
  11. आत्मीयता का भाव सभी स्तर पर।
  12. शाखा की वार्षिक योजना बैठक।
  13. शाखा को टोली युक्त करना। ( क. टोली के 4 बिंदु: स्वयंस्फूर्त टोली, साप्ताहिक बै ठक हो, शाखा के अतिरिक्त न्यूनतम 1 घंटा समय लगाने वाली कार्यकर्ता टोली, मासिक गृह संपर्क करने वाली टोली। ख. 7 दायित्व - शाखा पालक, शाखा कार्यवाह, मुख्यशिक्षक, गणशिक्षक (15 स्वयंसेवक पर 1), गटनायक (8 संख्या पर 1 ), शाखा घोष शिक्षक, शाखा उपक्रम प्रमुख।
  14. शाखा टोली बैठक - साप्ताहिक।
  15. शाखा पर अनिवार्य कार्यक्रमों की रचना 5 मिनट सूर्यनमस्कार 5 मिनट संचलन, 1 मिनट दंड प्रहार, सांघिक गीत, सुभाषित/अमृतवचन।
  16. शाखा पर सेवा दिवस।
  17. शाखा वार्षिकोत्सव।
  18. शाखा रजिस्टर ( शाखा सूची, शाखा टोली, शाखा कार्यक्रम, शाखा पर प्रवास, नयी योजना, श्री गुरु दक्षिणा data, शाखा वार्षिक योजना के बिंदु, नए खेल, शाखा प्रशिक्षित स्वयंसेवको की सूची, प्रशिक्षण के लिए जाने वालो की सूची, दिनानुसार संख्या, दिनानुसार कार्यक्रमों अनिवार्य कार्यक्रमों की रचना - इत्यादि)।
  19. नए प्रयोगों को प्रेरित व प्रोत्साहित करना - सायं समय में दादा पोता एकत्रीकरण, परिवार मिलन कार्यक्रम, Summer camp, Career Counselling, नई भर्ती योजना।
  20. प्रत्येक स्वयंसेवक की विस्तृत जानकारी एकत्र करते हुए उनका सर्वेक्षण करवाना।
  21. शाखा टोली का प्रशिक्षण।
  22. प्रत्येक मॉस की 16 तारीख को दंड प्रहार यज्ञ रहैगा, 1000 संख्या के प्रहार, कितने स्वयंसेवकों द्वारा प्रहार नगर पर बताये उसी दिन।
  23. अपना विकल्प तैयार करना।
  24. 12 माह वाले कार्यकर्ता बनने का स्वभाव।
  25. शाखा की आतंरिक व्यवस्था - संघ स्थान - कैसा हो / है- मुख्यशिक्षक की भूमिका रहती है।
  26. सूचना के बाद उस दिशा में सोचना प्रारम्भ करना, संघ कार्य के लिए अन्य कार्यों को थोड़ा Adjust करने का अभ्यास। 
  27. किसी अपेक्षित जगह पर पहुंचने में असमर्थता होने पर जिस इकाई का कार्यक्रम हो वहाँ पूर्व अनुमति लेने का अभ्यास ।
  28. पूर्वयोजना - पूर्णयोजना।
  29. Think beyond conventional।
  30. SWOT Analysis।
  31. गुण निर्माण focus- व्यक्तित्व, कर्तित्व, नेतृत्व, विवेक अवभक्ति।
  32. Urgent व Important का समन्वय।

• शाखा घोष शिक्षक

  1. शाखा घोष शिक्षकों के पास अपने शाखा के घोष वादकों की विस्तृत सूची रहनी चाहिए।
  2. नगर घोष केन्द्र - अपने नगर के घोष में अपने शाखा के घोष वादकों को भेजने की व्यवस्था और चिंता करनी चाहिये। 
  3. हम एक घोष गटनायक है हमें अपने घोष वादकों से निरंतर सम्पर्क रहना चाहिए।
  4. अपने शाखा के वार्षिकोत्सव में घोष वादन हो इसकी समय पूर्व विशेष योजना बननी चाहिए।
  5. शाखा सूची के सभी स्वयंसेवकों को ध्वजारोपणम्मंत्र कंठस्थ कराने का प्रयास करना चाहिए।
  6. शाखा पर प्रगत वादकों के अभ्यास पर विशेष चिंता।
  7. हम सभी पहले संघ के स्वयंसेवक हैं उसके बाद घोष वादक हैं यह हमें विशेष रूप से ध्यान रहना चाहिए।
  8. अपने शाखा से संघ शिक्षा वर्ग में जाने वाले शिक्षार्थी को घोष वाद्य तय करा कर के भेजना अनिवार्य है।
  9. शाखा के घोष वादकों द्वारा कोई विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा सकता है।
  10. अपने दिल्ली प्रांत का प्रत्येक वर्ष 7 दिन का घोष वर्ग लगता है अपने शाखा से अधिक से अधिक संख्या पहुंचे इसके लिए हमें पूरे वर्ष प्रयास करना चाहिए।
  11. अपने सभी कार्यकर्ताओं से आत्मीयता का भाव बना रहना चाहिए।
  12. शाखा और शाखा टोली के साथ समन्वय बना रहना चाहिए।

शाखा वार्षिक योजना बैठक

  1. शाखा की पूरी सूची की 1:30 से 2:00 घण्टे तक की बैठक रखनी चाहिए, जिसमें निम्ननिखित विषय रख सकते हैं, केंद्रीय शाखा प्रमुख से भी आग्रह कर सकते हैं उपिस्थत रहने के लिए।
  2. शाखा टोली की साप्ताहिक बैठक का दिन व समय निश्चित कर सकते है।
  3. सहभोज का क्रम तय कर सकते हैं।
  4. वन विहार कार्यक्रम तय कर सकते हैं।
  5. वार्षिकोत्सव दिवस।
  6. उपक्रम का प्रकार तय कर सकते है ( हर महीने का 1 उपक्रम तय कर सकते हैं )।
  7. शाखा में होने वाले कार्यक्रमों - खेल, नियुद्ध, संचलन, दंड, गीत, सुभाषित आदि का प्रकार तय कर सकते है।
  8. नगर के अभ्यास वर्गों में जाने वाली सूची निश्चित कर सकते हैं।
  9. शाखा क्षेत्र के जिस Area से कम संख्या आती है वहाँ के लिए योजना बना सकते है।
  10. शाखा में प्रत्येक माह की 1 तारीख को गणवेश दिवस की योजना।
  11. शाखा में गणवेश बड़े उसकी योजना।
  12. शाखा एकत्रीकरण - पूर्णसूची उपिस्थति का प्रयास।
  13. प्राथमिक में जा सकने वाले स्वयंसेवको की सूची निर्माण का कार्य ।
  14. शाखा सूची - विस्तृत बनाने के लिए योजना।
  15. शिक्षित कार्यकर्ताओं की सूची बनाना।
  16. टोली के स्वयंसेवको के बीच कार्यों का ठीक से बटवारा।
  17. शाखा में 85% से ऊपर Marks लेने वाले स्वयंसेवको की सूची बनाना और अधिक से अधिक स्वयंसेवक इस सूची में आये इसकी कार्य योजना बनाना।
  18. गुरु दक्षिणा उत्सव की तैयारी।
  19. पंचांग क्रियान्वन।
  20. दंड प्रहार महायज्ञ की तैयारी, प्रत्येक मॉस की 16 तारीख को दंड प्रहार यज्ञ ।
  21. घोष के स्वयंसेवको की सूची।
  22. शाखा में आने वाली दिक्कतों को लिखना।
  23. शाखा की अच्छी बातो को लिखना।
  24. अपने नगर की अन्य शाखाओं के साथ कोई प्रतियोगिता रखना (कब्बडी, मंडल खो, गेंद मार) ।
  25. विस्तारक योजना।
  26. वर्ष के निमित लक्ष्य रखेंगे तो अच्छा है ।

शाखा स्तर पर

  1. शाखा टोली साप्ताहिक बैठक।
  2. सभी शाखा टोली युक्त (10)।
  3. सभी शाखाओ का रजिस्टर।
  4. प्रत्येक शाखा की वार्षिक योजना।
  5. प्रत्येक शाखा का वार्षिकोत्सव।
  6. वन विहार Trip।
  7. प्रतियोगिताएँ (कब्बडी, रग्बी, सूर्यनमस्कार, सततयोग etc)।
  8. सहभोज, चन्दन आदि।
  9. साप्ताहिक सेवा दिवस - सेवा कार्यक्रम सेवा के माध्यम से समाज को जोड़ना।
  10. प्रत्येक मास की 16 तारीख को दंड प्रहार यज्ञ।
  11. अनिवार्य शारीरिक व बौद्धिक कार्यक्रमो का क्रियान्वन ।
  12. बस्ती अध्ययन।
  13. सभी शाखा उपक्रम युक्त।

गुणवत्ता बढ़ाने के कार्य

  1. गुरुदक्षिणा संख्या वृद्धि : गंगाजली।
  2. शाखा कुल सूची : औसत उपिस्थति वृद्धि ।
  3. गणवेश वृद्धि।
  4. शिक्षण में संख्या वृद्धि।
  5. रात्रि शाखा की संख्या भी आवश्यकता अनुसार बढ़े।
  6. कोई भी दिक्क्त आने पर प्रवासी से बिना संकोच संपर्क करे, कोई सुझाव हो तो बिना संकोच नगर तक पहुचाये ।
  7. नियमित स्वयंसेवको के घरो में संपर्क करने का स्वभाव बना रहै ।
  8. छोटे छोटे लक्ष्य शाखा के लिए तय करे व उनको पूरा करने पर अगला लक्ष्य ले, लेकिन पहले वाले को भूले न।
  9. टोली आधारित कार्य बढ़े न कि व्यक्तिगत आधारित।
  10. प्रयोग करने का स्वातंत्र्य।
  11. नगर व्बस्ती का सामाजिक अध्ययन (विद्यार्थी दृष्टि)। 
  12. कार्यक्रमों में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान।
  13. सूचि :-
  • पढाई विषयो अनुसार।
  • Year अनुसार।
  • Each One Teach One।
  • स्पोर्ट्स रुचि।
  • शिक्षणो के अनुसार।
  • घोष वाद्य व वादकों के अनुसार।
  • शारीरिक व बौद्धिक विषयो के अनुसार।

• जागरूकता बढ़ाने के कार्य

  1. पंचाग का क्रियान्वन।
  2. अपने दिन की दिनचर्या बनाये व उसको 85% तक करने का सफल प्रयत्न करें। 
  3. सेवा प्रकल्प / स्थान / बस्ती दर्शन
  4. स्वदेशी / हिन्दू जीवन आग्रह
  5. प्रकृति प्रेमी बने :-
  • जल संचयन।
  • प्लास्टक फ्री शाखा बने व Eco Brick उपयोग।
  • पौधा रोपण कार्यक्रम।

• SWOT ANALYSIS (STRENGTHS, WEAKNESSES, OPPORTUNITY, THREATS)


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