राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में बैठक में शामिल किये जाने वाले मंत्र

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में बैठक में शामिल किये जाने वाले मंत्र

Sangathan Mantra & Kalyan Mantra

संगठन मंत्र

राष्ट्र सेवा और अनुशासन के मंत्र पर चलते हुए, अपने असाधारण प्रयासों से करोड़ों भारतवासियों को मातृभूमि की सेवा के लिए प्रेरित करने वाले विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” किसी भी भेदभाव से दूर राष्ट्र के लिए व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है और राष्ट्र व समाज के प्रति कर्तव्य का बोध कराता है। देश पर आया कोई संकट हो या प्राकृतिक आपदा संघ के कार्यकर्ता मदद के लिए सदैव अग्रिम पंक्ति में खड़े मिलते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के जीवन का मूल मंत्र राष्ट्र के प्रति समर्पण है और संघ कार्यकर्ता जाति- धर्म नहीं देखता, स्वयंसेवक का ध्येय राष्ट्र व समाज निर्माण है। भारत ने दुनिया को विविधता में एकता नहीं, विविधता ही एकता का मंत्र दिया है। अलग-अलग विचारों के बीच दुनिया कैसे एक रह सकती है, यह विचार भारत की सभ्यता और संस्कृति से उपजा है। भारत ने दुनिया को एक मानने का आधार दिया है। दुनिया को बताया है कि कैसे अलग-अलग विचार, अलग-अलग पूजा पद्धत्ति को मानने वाले एक रह सकते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एकता को अपना सूत्र माना है, जिसमें सबसे अहम पहलू यह है कि सभी को एक साथ लेकर चलना ही मूल मंत्र है। सामान्यतः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक से पूर्व करवाया जाने वाला मन्त्र संगठन मंत्र और कुछ नहीं वैदिक मन्त्र है जो की ऋग्वेद से लिया गया है। संगठन मंत्र से हमें सामूहिक निर्णय करने की प्रेरणा मिलती है।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक में संगठन मंत्र करवाने का उद्देश्य

इस मंत्र का उद्देश्य बैठक में होने वाली चर्चा या विचार-विमर्श के पश्चयात जो भी निर्णय हो वो सबकी सहमति से हो, और एक बार किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद सर्वमान्य हो। जिससे किसी के मन में भेद-भाव न रहें और सभी संगठित रहें।


संगठन मंत्र

ॐ सङ्गच्छध्वं संवदध्वं , सं वो मनांसि जानताम् ।
देवा भागं यथा पूर्वे , संञ्जानाना उपासते ।।1।।

समानो मंत्रः समितिः समानी, समानं मनः सहचित्तमेषाम् ।
समानं मन्त्र अभिमन्त्रये वः , समानेन वो हविषा जुहोमी ।।2।।

समानी व आकूतिः , समाना हृदयानि वः ।
समानमस्तु वो मनो , यथा वः सुसहासति ।।3।। 

।। ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।।


अर्थ : – 

पग से पग (कदम से कदम) मिलाकर चलो, स्वर से स्वर मिलाकर बोलो, तुम्हारे मनों में समान बोध (ज्ञान) हो। पूर्व काल में जैसे देवताओं ने अपना भाग प्राप्त किया, सम्मिलित बुद्धि से कार्य करने वाले उसी प्रकार अपना–अपना अभीष्ट प्राप्त करते हैं।।1।।

इन (मिलकर कार्य करने वालों) का मन्त्र समान होता है अर्थात यह परस्पर मंत्रणा करके एक निर्णय पर पहुँचते हैं, चित्त सहित इनका मन समान होता है। मैं तुम्हें मिलकर समान निष्कर्ष पर पहुँचने की प्रेरणा या परामर्श देता हूँ, तुम्हें समान भोज्य प्रदान करता हूँ।।2।।

हम सभी के संकल्प एक समान हो, हम सभी के हृदय की इच्छाएं एक समान हो, हम सभी के विचार एक समान हो, जिससे कि हम सब में पूर्ण समरसता आये।।3।।

।। ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।


Meaning in English

ॐ May we march forward with a common goal. May we be open-minded and work together in harmony. May we share our thoughts for integrated wisdom. May we follow the example of our ancestors who achieved higher goals by virtue of being united.

May our prayers be one. May we belong to one brotherhood. May our hearts and minds move toward one supreme goal. May we be inspired by common ideals.

May our aspirations be harmonious. May our minds be in unison. May we strive to reduce disparity. May we be bound in strong fellowship and unity.

ॐ Peace Peace Peace


ऋग्वेद का यह दिव्य मंत्र एकता और समन्वय का प्रतीक है। यह श्लोक केवल एक वैदिक प्रार्थना नहीं, बल्कि समाज में समरसता, संगठन और सहयोग की नींव रखने वाला सार्वकालिक संदेश है। यह मानवता को एक सूत्र में बाँधने की प्रेरणा देता है। वेदों में सत्य, धर्म, प्रेम और एकता के मूलभूत सिद्धांत निहित हैं। इस श्लोक में ईश्वर ने मनुष्यों को यह सन्देश दिया है कि जब तक हम मिलकर नहीं चलते, बोलते और सोचते, तब तक हम न तो आत्मिक प्रगति कर सकते हैं और न ही सामाजिक विकास। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसका विकास अकेले नहीं, समाज के साथ होता है। सत्य और एकता के पथ पर चलना ही आध्यात्मिक उन्नति की सीढ़ी है। जब लोग साथ मिलकर बोलते हैं, तो संवाद से समाधान निकलता है, विरोध नहीं।


परिवार और जीवन में तथा सामाजिक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में उपयोगिता

आज के समय में जब समाज में विचारों का टकराव, वैचारिक असहिष्णुता और टुकड़ों में बँटी सोच का बोलबाला है, तब यह श्लोक एक संजीवनी की तरह कार्य करता है। यह हमें बताता है—

  • हम विचारधाराओं में भिन्न हो सकते हैं, परंतु लक्ष्य में एक हो सकते हैं।
  • मिलकर बोलना यानी सहमति और सह-अस्तित्व का मार्ग अपनाना।
  • संगठित समाज ही शांति, प्रगति और विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • राष्ट्र निर्माण एकजुट प्रयासों से ही संभव है – एक उद्देश्य, एक विचार, एक लक्ष्य।
  • परिवार में सभी सदस्यों को मिलकर चलना चाहिए – तभी वहाँ सुख, शांति और स्नेह बना रहता है।
  • जीवन में जब मन, वाणी और कर्म एक हों – तभी सफलता, संतोष और समृद्धि संभव होती है।
  • विद्यालय, कार्यस्थल या समाज – हर जगह “सं गच्छध्वं सं वदध्वम्” का पालन करने से समरसता आती है।
  • यदि हम इसे अपने जीवन और समाज में अपनाएं, तो संघर्ष की जगह सहयोग होगा, द्वेष की जगह प्रेम और अव्यवस्था की जगह सुशासन आएगा।


2. कल्याण मंत्र

कल्याण मंत्र एक प्रसिद्ध मंत्र है जो विश्व कल्याण और शांति की कामना के लिए प्रयोग किया जाता है। यह मंत्र न केवल व्यक्तिगत रूप से, बल्कि पूरे विश्व के कल्याण के लिए भी प्रार्थना करता है। 


कल्याण मंत्र

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥


कल्याण मंत्र का अर्थ है 

"सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय हों, और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े। ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।"


यह मंत्र संस्कृत में है और इसका अर्थ है: Meaning:

सर्वे भवन्तु सुखिनः - सभी सुखी हों। (Om, May All be Happy)
सर्वे सन्तु निरामयाः - सभी रोगमुक्त रहें। (May All be Free from Illness.)
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु - सभी मंगलमय देखें। (May All See what is Auspicious,)
मा कश्चिद् दुःखभाग भवेत् - कोई भी दुःख का भागी न बने। (May no one Suffer.)
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः - ॐ शान्ति शान्ति शान्ति (Om Peace, Peace, Peace.)


समरता मन्त्र / संकल्प मंत्र 

हिन्दवः सोदराः सर्वे, न हिन्दु पतितो भवेत्।
मम दीक्षा हिन्दु रक्षा, मम मंत्र समानता।।

अर्थात - 

सभी हिन्दु सहोदर (एक मां की संतान) है कोई नीच नहीं, मेरी दीक्षा हिन्दु रक्षा है तथा मेरा मंत्र समानता है।


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