सरसंघचालक

 सरसंघचालक

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डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार उपाख्य डाक्टर साहब (1925~1940) 

डॉ. हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 को महाराष्ट्र के नागपुर जिले में पण्डित बलिराम पन्त हेडगेवार के घर हुआ था। इनकी माता का नाम रेवतीबाई था। माता पिता ने पुत्र का नाम केशव रखा। केशव का बड़े लाड़ प्यार से लालन पालन होता रहा। उनके दो बड़े भाई भी थे, जिनका नाम महादेव और सीताराम था। पिता बलिराम वेद शास्त्र एवं भारतीय दर्शन के विद्वान थे एवं वैदिक कर्मकाण्ड (पण्डिताई) से परिवार का भरण पोषण चलाते थे।

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरूजी (1940~1973) 

उनका जन्म फाल्गुन मास की एकादशी संवत 1963 तदनुसार 19 फ़रवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था। वे अपने माता पिता की चौथी संतान थे। उनके पिता का नाम श्री सदाशिव राव उपाख्य ‘भाऊ जी’ तथा माता का श्रीमती लक्ष्मीबाई उपाख्य ताई’ था। उनका बचपन में नाम माधव रखा गया पर परिवार में वे मधु के नाम से ही पुकारे जाते थे। पिता सदाशिव राव प्रारम्भ में डाक तार विभाग में कार्यरत थे परन्तु बाद में सन 1908 में उनकी नियुक्ति शिक्षा विभाग में अध्यापक पद पर हो गयी।

मधुकर दत्तात्रय देवरस उपाख्य बालासाहेब देवरस (1973~ 1993) 

श्री बाला साहब देवरस का जन्म 11 दिसम्बर 1915 को नागपुर में हुआ था। उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे और नागपुर इतवारी में आपका निवास था। यहीं देवरस परिवार के बच्चे व्यायामशाला जाते थे 1925 में संघ की शाखा प्रारम्भ हुई और कुछ ही दिनों बाद बालासाहेब ने शाखा जाना प्रारम्भ कर दिया।

स्थायी रूप से उनका परिवार मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के आमगांव के निकटवर्ती ग्राम कारंजा का था। उनraकी सम्पूर्ण शिक्षा नागपुर में ही हुई। न्यू इंगलिश स्कूल मे उनकी प्रारम्भिक शिक्षा हुई। संस्कृत और दर्शनशास्त्र विषय लेकर मौरिस कालेज से बालासाहेब ने 1935 में बीए किया। दो वर्ष बाद उन्होंने विधि (ला) की परीक्षा उत्तीर्ण की। विधि स्नातक बनने के बाद बालासाहेब ने दो वर्ष तक ‘अनाथ विद्यार्थी बस्ती गृह’ मे अध्यापन कार्य किया। इसके बाद उन्हें नागपुर मे नगर कार्यवाह का दायित्व सौंपा गया। 1965 में उन्हें सरकार्यवाह का दायित्व सौंपा गया जो 6 जून 1973 तक उनके पास रहा।

श्रीगुरू जी के स्वर्गवास के बाद 6 जून 1973 को सरसंघचालक के दायित्व को ग्रहण किया। उनके कार्यकाल में संघ कार्य को नई दिशा मिली। उन्होंने सेवाकार्य पर बल दिया परिणाम स्वरूप उत्तर पूर्वांचल सहित देश के वनवासी क्षेत्रों के हजारों की संख्या में सेवाकार्य आरम्भ हुए।

सन 1975 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर संघ पर प्रतिबन्ध लगा दिया। हजारों संघ के स्वयंसेवको को मीसा तथा डी आई आर जैसे काले कानून के अन्तर्गत जेलों में डाल दिया गया और यातनाएऐं दी गई। परमपूज्यनीय बाला साहब की प्रेरण एवं सफल मार्गदर्शन में विशाल सत्याग्रह हुआ और 1977 में आपातकाल समाप्त होकर संघ से प्रतिबन्ध हटा। स्वास्थ्य कारणों से जीवन काल में ही सन 1994 में ही सरसंघचालक का दायित्व उन्होंने प्रो” राजेन्द्र प्रसाद उपाख्य रज्जू भइया को सौंप दिया। 17 जून 1996 को उनका स्वर्गवास हो गया।

उनके छोटे भाई भाऊराव देवरस ने भी संघ परिवार एवं भारतीय राजनीति में महती भूमिका निभाई।

प्रोफ़ेसर राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया (1993~ 2000) 

रज्जू भैया का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर शहर की इन्जीनियर्स कालोनी में २९ जनवरी सन 1922 को इं० (कुंवर) बलबीर सिंह की धर्मपत्नी ज्वाला देवी के गर्भ से हुआ था। उस समय उनके पिताजी बलबीर सिंह वहां सिचाई विभाग में अभियन्ता के रूप में तैनात थे।

बलबीर सिंह जी मूलतः उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जनपद के बनैल पहासू गांव के निवासी थे जो बाद में उत्तर प्रदेश के सिचाई विभाग से मुख्य अभियन्ता के पद से सेवानिवृत हुए। वे भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (आई०ई०एस०) में चयनित होने वाले प्रथम भारतीय थे। परिवार की परम्परानुसार सभी बच्चे अपनी मां ज्वाला देवी को “जियाजी” कहकर सम्बोधित किया करते थे।

अपने माता पिता की कुल पांच सन्तानों में रज्जू भैया तीसरे थे। उनसे बडी दो बहनें सुशीला व चन्द्रवती थीं तथा दो छोटे भाई विजेन्द्र सिंह व यतीन्द्र सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा में थे और केन्द्र व राज्य सरकार में उच्च पदों पर रहे।

कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन जी उपाख्य सुदर्शनजी (2000~ 2009)

श्री कुप्पाहाली सीतारमय्या सुदर्शन जी  (14 जून 1931 15 सितंबर 2012 ) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांचवें सरसंघचालक थे। श्री के एस सुदर्शन जी  का जन्म रायपुर (छत्तीसगढ़) में एक कन्नड़ भाषी परिवार में हुआ था। उन्होने जबलपुर के राजकीय इंजीनियरी महाविद्यालय (सागर विश्वविद्यालय) से दूरसंचार प्रौद्योगिकी में स्नातक की उपाधि अर्जित की। 16 जनवरी 2009 को मेरठ के शोभित विश्वविद्यालय ने उनको ‘डॉक्टर ऑफ आर्टस की मानद उपाधि से विभूषित किया। मार्च 2009 में श्री मोहन भागवत को छठवां सरसंघचालक नियुक्त कर स्वेच्छा से पदमुक्त हो गये। 15 सितम्बर 2012 को अपने जन्मस्थान रायपुर में 81 वर्ष की अवस्था में इनका निधन हो गया।

डॉ. मोहनराव मधुकरराव भागवत उपाख्य मोहन भागवत जी (2009 से अभी तक) 

श्री मोहनराव मधुकरराव भागवत जी का जन्म महाराष्ट्र के चन्द्रपुर नामक एक छोटे से नगर में 11 सितम्बर 1950 को हुआ था। वे संघ कार्यकर्ताओं के परिवार से हैं। उनके पिता मधुकरराव भागवत चन्द्रपुर क्षेत्र के प्रमुख थे जिन्होंने गुजरात के प्रान्त प्रचारक के रूप में कार्य किया था। मधुकरराव ने ही लाल कृष्ण आडवाणी का संघ से परिचय कराया था। उनके एक भाई संघ की चन्द्रपुर नगर इकाई के प्रमुख हैं। मोहन भागवत कुल तीन भाई और एक बहन चारो में सबसे बड़े हैं।

मोहन भागवत जी ने चन्द्रपुर के लोकमान्य तिलक विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा और जनता कालेज चन्द्रपुर से बीएससी प्रथम वर्ष की शिक्षा पूर्ण की। उन्होंने पंजाबराव कृषि विद्यापीठ, अकोला से पशु चिकित्सा और पशुपालन में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1975 के अन्त में, जब देश तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गान्धी द्वारा लगाए गए आपातकाल से जूझ रहा था, उसी समय वे पशु चिकित्सा में अपना स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम अधूरा छोड़कर संघ के पूर्णकालिक स्वयंसेवक बन गये।

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