अमृतवचन : वर्ष प्रतिपदा

अमृत वचन (वर्ष प्रतिपद हेतु)

अमृत वचन -1

प.पू. श्री गुरुजी ने कहा कि हिन्दू राष्ट्र के मन्त्र और हिन्दू समाज के संगठन के दृष्टा डॉ जी की आराधना का एकमेव मार्ग है अपने संकीर्ण व्यक्तित्व को भुलाकर इस संगठन रूपी विराट देह का सम्वर्धन करना। हम डॉक्टर साहब के पुजारी कहलाने के अधिकारी तभी बनेंगे जब जिस ध्येय की प्राप्ति के लिए यह संगठन निर्माण किया गया है उस ध्येय को शीघ्र प्राप्त करने के निश्चय से हम अपने-अपने स्थान पर संघ कार्य में जुट जायें।


अमृत वचन -2

प.पू. श्री गुरुजी ने कहा कि सामान्य स्वयंसेवक होना प्रतिष्ठा की बात हे। उसके समान गर्व करने योग्य अन्य कोई बात नहीं हो सकती। पद और अधिकार तो केवल व्यवस्था की बातें हैं मूल आधार है स्वयंसेवक होना।


अमृत वचन -3

प.पू. बालासाहब देवरस ने कहा कि डॉक्टर जी कोरे चिन्तक नहीं थे। उन्होने व्यक्ति निर्माण अर्थात् व्यक्ति की मनोरचना सम्भालने के लिये दैनिक शाखा की अनोखी पद्धति का विकास किया और निज के उदाहरण से हजारों अन्तःकरणं में हिन्दू संगठन के स्वप्न को साकार कर दिखाने के संकल्प को जगाया।


अमृत वचन -4

संघ की शाखा खेल खेलने अथवा परेड करने का स्थान मात्र नही है, अपितु सज्जन की सुरक्षा का बिन बोले अभिवचन है, तरूणों को अनिष्ट व्यसन से मुक्त रखने वाला संस्कार  पीठ है, समाज पर अकस्मात् आने वाली विपत्तियों अथवा संकटों में त्वरित निरपेक्ष सहायता मिलने का आशा केन्द्र है,महिलाओं की निर्भयता एवँ सभ्य आचरण का आश्वासन है, दुष्ट तथा देशद्रोही शक्तियों पर अपनी धाक स्थापित करने वाली शक्ति है और सबसे प्रमुख बात यह है कि समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सुयोग्य कार्यकर्ता, उपलब्ध कराने हेतु योग्य प्रशिक्षण देने वाला विद्यापीठ है। - परमपूज्य बालासाहब देवरस


अमृत वचन -5

परमपूजनीय डॉक्टर जी के कष्टपूर्ण परिश्रमी एवं कर्मठ जीवन से सर्वसाधारण व्यक्ति को एक आशादायी संदेश मिलता है – दरिद्रता, प्रसिद्धिविहिनता, बड़ों की उदासीनता, परिस्थिति की प्रतिकूलता, पग-पग पर बाधाएँ, विरोध, उपेक्षा, उपहास आदि के कटु अनुभव के साथ-साथ स्वीकृत कार्य की पूर्ति के लिये आवश्यक साधनों का अत्यन्त अभाव आदि कितनी ही कठिनाइयाँ मार्ग में आवें तो भी अपने कार्य के साथ तन्मय होकर “मुक्त संगोऽनहंवादी” इस वृत्ति से सुख-दुख, मान अपमान, यश-अपयश आदि किसी की भी चिन्ता न करते हुए यदि कोई प्रयत्न रत रहेगा तो अवश्य ही सफलता मिलेगी।



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