अमृतवचन
परमपूजनीय डॉक्टर जी के कष्टपूर्ण परिश्रमी एवं कर्मठ जीवन से सर्वसाधारण व्यक्ति को एक आशादायी संदेश मिलता है – दरिद्रता, प्रसिद्धिविहिनता, बड़ों की उदासीनता, परिस्थिति की प्रतिकूलता, पग-पग पर बाधाएँ, विरोध, उपेक्षा, उपहास आदि के कटु अनुभव के साथ-साथ स्वीकृत कार्य की पूर्ति के लिये आवश्यक साधनों का अत्यन्त अभाव आदि कितनी ही कठिनाइयाँ मार्ग में आवें तो भी अपने कार्य के साथ तन्मय होकर “मुक्त संगोऽनहंवादी” इस वृत्ति से सुख-दुख, मान अपमान, यश-अपयश आदि किसी की भी चिन्ता न करते हुए यदि कोई प्रयत्न रत रहेगा तो अवश्य ही सफलता मिलेगी।