वाहिनी समता और अनीकिनी समता
वाहिनी समता
एक वाहिनी में तीन गण रहेंगे। प्रत्येक वाहिनी का एक प्रमुख और एक उपप्रमुख रहेगा। इस प्रकार वाहिनी की कुल संख्या 59 होगी।
वाहिनी संपत की पद्धति
1. अग्रेसर :- तीनों गणों के दक्षिण अग्रेसर दक्ष करेंगे। पश्चात प्रचलन करते हुए वाहिनी प्रमुख के सामने 3 कदम पर गण के क्रमांक के अनुसार एक तति में खड़े होंगे |
2. अग्रेसर प्रथमोनिश्चल अवशेष अर्धवृत :- गण दो और तीन के अग्रेसर अर्धवृत करेंगे |
3. सप्तपदान्तरम् प्रचल :- दूसरे गण का अग्रेसर 7 कदम आगे जाकर स्तभ तथा अर्धवृत करेगा | पश्चात् द्विपद दक्षिणसर करेगा। तीसरे गण का अग्रेसर 14 कदम आगे जाकर स्तभ तथा अर्धवृत करेगा और-चतुष्पद दक्षिणसर करेगा |
4. अग्रेसर आरम :- तीनों अग्रेसर आरम करेंगे।
5. वाहिनी संपत :- वाहिनी के सब स्वयंसेवक - दक्ष में आकर प्रचलन करते हुए अपने अपने अग्रेसर के बायीं ओर गणशः ततिव्यूह में संपत करेंगे और सम्यक देखकर अग्रेसर के पश्चात् प्रतिशः आरम करेंगे।
वाहिनी संपत होने के पश्चात् प्रत्येक गणशिक्षक अपने गण को गणसाधनम् करायेगा।
1. घनस्तंभव्यूह से ततिव्यूह :-
आज्ञा (वाहिनी प्रमुख द्वारा) :- वाहिनी वामेनततिव्यूह अवशेष चतुर्व्यूह।
इस आज्ञा के पश्चात् गण 2 और 3 वामदिक प्रचलनम् चतुर्व्यूह करेंगे। तत्पश्चात् गण 2 व 3 के शिक्षक द्वारा क्रमशः प्रचल की आज्ञा होगी। आज्ञा मिलते ही दूसरा गण 12 कदम प्रचल कर स्तभ करेगा। पश्चात ततिव्यूह दक्षिणवृत कर 7 कदम आगे जाकर स्तभ करेगा। तीसरा गण 24 कदम प्रचल कर स्तभ करेगा। पश्चात ततिव्यूह दक्षिणवृत कर 14 कदम आगे जाकर स्तभ करेगा।
2. ततिव्यूह से घनस्तंभव्यूह :-
आज्ञा (वाहिनी प्रमुख द्वारा) :- वाहिनी, दक्षिणेनघनस्तंभव्यूह अवशेष अर्धवृत।
इस आज्ञा के पश्चात् गण 2 और 3 अर्धवृत करेंगें। दोनों अग्रेसर 2 कदम आगे न जाकर अपने स्थान पर ही रहेंगे। तत्पश्चात् गण 2 व 3 के शिक्षक द्वारा क्रमशः प्रचल की आज्ञा होगी। आज्ञा मिलते ही क्रमशः दूसरा गण 7 कदम तथा तीसरा गण 14 कदम प्रचल कर स्तभ करेगा। पश्चात् सम क्रमांक दाहिना पैर 75 सेमी आगे तथा बायाँ पैर 75 सेमी बायीं ओर के स्वयंसेवक के सामने रखकर दाहिना पैर बायें पैर से मिलायेगा। तत्पश्चात् सम्पूर्ण गण वामवृत कर क्रमशः 12 तथा 24 कदम आगे जाकर ततिव्यूह वामवृत करेंगे।
3. घनस्तंभव्यूह से स्तंभचतुर्व्यूह में प्रस्थान
वाहिनी प्रमुख आज्ञा देगा :- वाहिनी स्तंभचतुर्व्यूह प्रस्थानम् दक्षिणत चतुर्व्यूह।
इस आज्ञा के पश्चात् तीनों गण दक्षिणदिक् प्रचलनम् चतुर्व्यूह करेंगे। पश्चात् प्रत्येक गण शिक्षक अपने-अपने गण को क्रमश: गण (1/2/3) वामभ्रम, प्रचलं। आज्ञा देगे।
4. स्तंभचतुर्व्यूह में चलते समय वामाभिमुख स्तम स्थिति में घनस्तंभव्यूह :-
वाहिनी प्रमुख सूचना देगा :- वाहिनी स्तब्धावसानम् | वामाभिमुखम् घनस्तंभव्यूह।
इस सूचना के पश्चात् गण 1 का शिक्षक अपने गण को स्तभ देक़र ततिव्यूह वामवृत कराएगा। गण 2 तथा 3 के शिक्षक अपने गण को गण 1 के पीछे 7-7 कदम पर ले जाकर स्तम देकर ततिव्यूह वामवृत्त करायेंगे।
5. घनस्तंभव्यूह से संचलनव्यूष मे दक्षिण दिशा में प्रचलन :-
वाहिनी प्रमुख आज्ञा देगा :- वाहिनी दक्षिणदिक् प्रचलनम् सचलनव्यूह चतुर्व्यूह।
इस आज्ञा के पश्चात् तीनों गण दक्षिणदिक् प्रचलनम् चतुर्व्यूह करेंगे। काम पूर्ण होने के बाद गणशिक्षक प्रचलन करते हुए अपने गण के दक्षिण अग्रेसर के दाहिनी ओर जाकर खड़े होंगे, उसी समय पहले तथा दूसरे गण के वाम अग्रेसर दक्षिणवृत कर तीन कदम आगे जाकर स्तभ तथा वामवृत कर अंतिम पंक्ति में खड़े होंगे। बाद में गण 1 का शिक्षक गण 1 प्रचल आज्ञा देगा। गण 2 और 3 के शिक्षक अपने अपने गण को वामभ्रम प्रचल आज्ञा देकर गण 1 के पीछे जायेंगे। गणों में अंतर नहीं रहेगा। दूसरे गण का दक्षिण अग्रेसर, गणशिक्षक तथा पहले गण का वाम अग्रेसर एक ही पंक्ति में आयेंगे। उसी प्रकार तीसरा गण दूसरे गण में जुड़ेगा। तीसरे गण का वाम अग्रेसर अपने स्थान पर ही रहेगा।
6. स्तंभचतुर्व्यूह में चलते समय उसी दिशा में स्तभव्यूह :-
न वाहिनी प्रमुख आज्ञा देगा :- वाहिनी स्तब्धावसानम् वामेन स्तंभव्यूह।
वाहिनी के तीनों गण वामेन ततिव्यूह तिव्यूह कर खडे रहेंगे। यदि 'स्तब्धावसानम् नही कहा गया तो सब स्वयंसेवक गणशिक्षक सहित स्तंभव्यूह रचना में मितकाल करते रहेंगे। सभी गणशिक्षक विषम क्रमांक का वामेन ततिव्यूह का काम करेंगे।
7. स्तंभचतुर्व्यूह में चलते समय, वामाभिमुख स्तंभव्यूह में चलना :-
वाहिनी प्रमुख सूचना देगा :- वाहिनी वामाभिमुखम् स्तंभव्यूह।
इस सूचना के पश्चात् गण 1 का शिक्षक अपने गण को आज्ञा देगा – गण-1 ततिव्यूह वामवृत तब गण 1 के स्वयंसेवक ततिव्यूह वामवृत करेंगे। जहाँ से गण 1 के शिक्षक ने आज्ञा दी थी वहाँ आने पर गण 2 व 3 के शिक्षक अपने-अपने गणको ततिव्यूह वामवृत आज्ञा देंगे। शिक्षकों को ततिव्यूह वामवृत का विषम क्रमांक का कार्य करना है।
8. स्तंभव्यूहः में चलते समय दक्षिणाभिमुख स्तंभचतुर्व्यूह में चलना :-
वाहिनी प्रमुख सूचना देगा :- वाहिनी दक्षिणाभिमुखम् स्तंभचतुर्व्यूह।
इस सूचना के पश्चात् गण 1 का शिक्षक अपने गण को गण 1 दक्षिणदिक् प्रचलनम् चतुर्व्यूह आज्ञा देगा तब गण 1 के स्वयंसेवक दक्षिणदिक् प्रचलनम् चतुर्व्यूह का काम करेंगे। जहाँ से गण 1 के शिक्षक ने आज्ञा दी थी, वहाँ आने पर गण 2 व 3 के शिक्षक अपने-अपने गण को दक्षिणदिक् प्रचलनम् चतुर्व्यूह आज्ञा देंगे। शिक्षक विषम क्रमांक का कार्य करेंगे।
अनीकिनी समता
एक अनीकिनी में तीन वाहिनियाँ होती हैं। अत अनीकिनीप्रमुख और उपप्रमुख मिलाकर अनीकिनी की कुल संख्या 179 होगी।
संपत कराने की पद्धति
वाहिनीशः अलग-अलग संपत कर आवश्यकतानुसार संपत किया जाता है। यह चार प्रकार से होता है 1. घनस्तंभव्यूह 2. ततिघनस्तंभव्यूह, 3. ततिव्यूह 4. गणघनस्तंभव्यूह।
1. घनस्तंभव्यूह से स्तंभचतुर्व्यूह में (संचलनव्यूह) प्रस्थान :-
अनीकिनी प्रमुख द्वारा आज्ञा - अनीकिनी स्त॑भचतुर्थ्यूह (संचलनव्यूह) प्रस्थानम् वाहिनीशः दक्षिणतः चतुर्व्यूह।
आज्ञा के बाद सभी गण दक्षिणदिक् प्रचलनम् चतुर्व्यूह करेंगे। तत्पश्चात् वाहिनी 1 के प्रथम गण के गणशिक्षक द्वारा आज्ञा दी जायेगी गण 1 वामभ्रम प्रचल। (सुयोग्य समय पर गण 2 व 3 के शिक्षक अपने-अपने गण को वामभ्रम प्रचल की आज्ञा देंगे तत्पश्चात् वाहिनी 2 व 3 के गणशिक्षक सुयोग्य समय पर आज्ञा देंगे)
2. स्तंभचतुर्व्यूह (संचलनव्यूह) में चलते समय स्तण स्थिति में वामाभिमुख घनस्तंभव्यूह :-
अनीकिनी प्रमुख द्वारा सूचना - अनीकिनी स्तब्धावसानम् वामाभिमुखम् घनस्तंभव्यूह
प्रत्येक गण अपने-अपने निर्धारित स्थान पर जाने पर उनके गणशिक्षक गण को स्तभ देकर ततिव्यूह वामवृत करायेंगे।
3. ततिघनस्तंभव्यूह से स्तंभचतुर्व्यूह में (संचलनव्यूह) प्रस्थान
अनीकिनी प्रमुख द्वारा आज्ञा - अनीकिनी स्तंभचतुर्व्यूह (संचलनव्यूह) प्रस्थानम् वाहिनीशः दक्षिणतः चतुर्व्यूह।
आज्ञा के बाद सभी वाहिनियाँ दक्षिणदिक् प्रचलनम् चतुर्व्यूह करेगी। तत्पश्चात् वाहिनी 1 के वाहिनी प्रमुख द्वारा आज्ञा दी जायेगी वाहिनी। वामभ्रम प्रचल। उसके बाद सुयोग्य समय पर वाहिनी 2 व 3 के प्रमुख अपनी-अपनी वाहिनी को वामभ्रम प्रचल की आज्ञा देकर वाहिनी 1 के पीछे चलेंगे।
4. स्तंभचतुर्व्यूह (संचलनव्यूह) में चलते समय स्तम स्थिति में वामाभिमुख ततिघनस्तंभव्यूह
अनीकिनी प्रमुख द्वारा सूचना - अनीकिनी स्तब्धावसानम् वामाभिमुख ततिघनस्तंभव्यूह।
प्रत्येक वाहिनी अपने-अपने निर्धारित स्थान पर जाने पर उनके वाहिनीप्रमुख वाहिनी को स्तभ देकर ततिव्यूह वामवृत करायेंगे।