सूर्य नमस्कार
तन से, मन से एवं वाणी से की हुई सूर्योपासना ही 'सूर्यनमस्कार' है। उसके दो आधुनिक पक्ष हैं। पहला सांधिक सूर्यनमस्कार और दूसरा संगीत के साथ सूर्यनमस्कार । संगीत के साथ सूर्यनमस्कार लगाने से वे अधिक आकर्षक, रंजक एवं प्रभावी बनते हैं। वे सांघिक होने पर और भी फलप्रद हो जाते हैं। सूर्य नमस्कार करते समय प्राणायाम (श्वांस-प्रश्वांस की विधि पूरक, रेचक, कुंभकः) का अभ्यास निम्न पद्धति से करना अपेक्षित है। सरल उपासना ओर सौम्य सन्तुलित व्यायाम यह सूर्यनमस्कार की विशेषता है। "सूर्यनमस्कार नामक यह व्यायाम सात आसनों का समुच्चय भी है। ये आसन हैँ -
१. ताड़ासन, २. उत्तानासन, ३. अश्चालन आसन, ४. दण्डासन, ५. साष्टांगप्रणाम आसन, ६. भुजंगासन, ७. अधोमुखश्वान आसन।
सूर्य नमस्कार शरीर और मन के समन्वय के साथ, 10 चरणों में किये जाने वाले 7 आसनों का एक संयोजन है जो ज्यादातर सुबह के समय किया जाता है, जो जीवनशक्ति में सुधार करता है और प्रतिरक्षा भी विकसित करता है। सूर्य नमस्कार सूर्य को नमस्कार या सूर्य के प्रति कृतज्ञता अर्पित करना है क्योकि सूर्य की प्रत्येक किरण सभी जीवित प्राणियों के लिए एक उपहार है । इसका महत्त्व न केवल खाद्य-श्रृखला में ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत के रूप में है, बल्कि मनुष्य के मन और शरीर को सक्रिय करने में भी है। उनके पारम्परिक नाम, मंत्र, नियत, श्वसन एवं परिष्कृत हलचल के साथ सूर्यनमस्कार लगाने से प्रदीर्घं आयु, आरोग्य मिलता है।
उपासना श्लोक
ध्येयः सदा सवितृमण्डलमध्यवर्ती, नारायणः सरसिजासन सन्निविष्टः।
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटि:, हारी हिरण्यमय वपुर्धृत शंख-चक्रः॥
अर्थात:
सौर-मण्डल के मध्य में, कमल के आसन पर विराजमान (सूर्य) नारायण जो बाजूबंद, मकर की आकृति के कुण्डल, मुकुट, शंख, चक्र धारण किये हुए तथा स्वर्ण आभायुक्त शरीर वाले हैं, का सदैव ध्यान करते हैं।
सूर्य नमस्कार की विभिन्न स्थितियां
समस्थिति में खड़े हो जाइये, श्वास लीजिये, हथेलियों को आपस में नमस्कार मुद्रा में जोड़ लीजिये। श्वास छोड़िये और विश्राम कीजिये।
- स्थिति-1 श्वास लीजिये, हाथों को ऊपर उठाइये। पीछे की ओर झुकिये।
- स्थिति-2 श्वास छोड़िये, आगे की ओर झुकिये और हथेलियों को पैरों के पास रखिये ।
- स्थिति-3 श्वास लीजिये, दाहिने पैर को यथासम्भव पीछे की ओर लाइये। मेरुदंड को पीछे की ओर झुकाइये। ऊपर की ओर देखिये।
- स्थिति-4 श्वास छोड़िये, बाएं पैर को पीछे ले जाइये और शरीर के वजन को हथेलियों और पैर की उंगलियों पर ले आइये।
- स्थिति-5 श्वास लीजिये; फिर धास छोड़ते हुए घुटनों, छाती और माथे को जमीन पर ले आइये।
- स्थिति-6 श्वास लीजिये, सिर को ऊपर उठाइये, नाभि तक पीछे की ओर झुकिये ।
- स्थिति-7 श्वास छोड़िये, अपने नितम्बों को उठाइये और सिर को उल्टे 'V' की मुद्रा में नीचे कीजिये।
- स्थिति-8 श्वास लीजिये, दाहिने पैर को आगे लाइये। मेरुदंड को पीछे की ओर झुकाइये। ऊपर की ओर देखिये।
- स्थिति-9 श्वास छोड़िये, बाएं पैर को आगे की ओर लाइये ओर सिर को पिंडली के पास रखिये ।
- स्थिति-10 श्वास लीजिये, अपने शरीर को ऊपर उठाइये। श्वास छोड़िये, हथेलियों को नमस्कार मुद्रा में जोड़ लीजिये।
सूर्य नमस्कार मंत्र अर्थ सहित
(सूत्र- मरे-सब खपे-हम आस-अभास)
ॐ मित्राय नमः – Om Mitraya Namaha – हित करने वाला मित्र
ॐ रवये नमः – Om Ravaye Namaha – शब्द का उत्पत्ति स्रोत
ॐ सूर्याय नमः – Om Suryaya Namaha – उत्पादक, संचालक
ॐ भानवे नमः – Om Bhanave Namaha – ओज, तेज
ॐ खगाय नमः – Om Khagaya Namaha – आकाश में विचरण करने वाला
ॐ पूष्णे नमः – Om Pushne Namaha – पुष्टि देने वाला
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः – Om Hiranyagarbhaya Namaha – बलदायक / जो सबका जन्म देता है
ॐ मरीचये नमः – Om Marichaye Namaha – व्याधिहार/किरणों से युक्त
ॐ आदित्याय नमः – Om Adityaya Namaha – सबकी उत्पत्ति करने वाला
ॐ सवित्रे नमः- Om Savitre namaha- सृष्टि उत्पादनकर्ता
ॐ अर्काय नमः – Om Arkaya Namaha – पूजनीय
ॐ भास्कराय नमः – Om Bhaskaraya Namaha – कीर्तिदायक / जगत को जाग्रत करने वाला
ॐ श्री सवितृसूर्यनारायणाय नमः - सृष्टि का उत्पादन और संचालन करने वाले नारायण सूर्य
फलश्रुति श्लोक
आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने-दिने।
आयुः प्रज्ञा बलम् वीर्य तेजस् तेषां च जायते॥
अर्थात्
जो प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज में वृद्धि होती है।
आवश्यक सूचनाएं -
- कमर दर्द (स्लिप डिस्क), गर्दन दर्द (स्पॉडिलाइटिस) से पीडित बन्धु स्थिति २ व ७ में गर्दन ऊपर तानकर करेंगे तो लाभ मिलेगा।
- गति धीमी तथा प्राणायाम प्रक्रिया का पालन करने से थकान की अपेक्षा और अच्छे परिणाम मिलते हैं।
- प्रतिदिन ५ मिनट सूर्य नमस्कार करे।
सावधानीः
हर्निया, रीढ़ की हड्डी में चोट, पेप्टिक अल्सर के दौरान सूर्य नमस्कार का अभ्यास नहीं करना चाहिए। सूर्य नमस्कार की अवधि और चक्र का निर्धारण व्यक्ति की सुविधा के अनुसार किया जाना चाहिए।
सूर्य नमस्कार के लाभ:
- शारीरिक स्वास्थ्य: सूर्य नमस्कार शारीरिक संरचना को सुधारने में मदद करता है, सांवेदनिकता को बढ़ाता है, श्वासन को सुधारता है, रक्त संचार को बढ़ाता है, और पाचन को संरचित करता है।
- रक्तसंचार: सूर्य नमस्कार से सभी महत्त्वपूर्ण अंगों में रक्तसंचार बढ़ता है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है।
- विटामिन-डी: इस से विटामिन-डी मिलता है, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं और आँखों की रोशनी में सुधार होता है।
- ब्लड प्रेशर नियंत्रण: सूर्य नमस्कार करने से खून का प्रवाह तेज होता है, जिससे ब्लड प्रेशर की बीमारियों में आराम मिलता है और क्रोध पर भी नियंत्रण होता है।
- मानसिक स्वास्थ्य: सूर्य नमस्कार का प्रभाव दिमाग पर भी पड़ता है, जिससे यह ठंडा रहता है और दिमाग की एकाग्रता में सुधार होती है।
- वजन कमी: इससे पेट के पास की वसा घटकर वजन कम होता है, जिससे मोटे लोगों के लिए यह फायदेमंद है।
- डिटॉक्सिफिकेशन: सूर्य नमस्कार आपके शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है, जिससे आपकी सारी कई समस्याएं कम हो सकती हैं।
- मंत्रों के जप करने से सूर्य देवता की कृपा हमारे ऊपर बनी रहती है और हमें उनके आशीर्वाद से समृद्धि, स्वास्थ्य, सौभाग्य, और सफलता की प्राप्ति होती है। सूर्य नमस्कार मन, शरीर और आत्मा के विकास के लिए एक उत्तम तकनीक है जो हमारे जीवन में सुख और सफलता का मार्ग है।
- सूर्य नमस्कार अपने आप में एक पूर्ण साधना, एक आध्यात्मिक अभ्यास है, क्योंकि इसमें आसन, प्राणायाम, मंत्र और ध्यान की तकनीक शामिल हैं।
- सूर्य नमस्कार मस्तिष्क में शुद्ध, ऑक्सीजन युक्त रक्त लाकर, अभ्यासी को शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से सतर्क और भावनात्मक रूप से संतुलित बनाता है।
- यह शरीर की सभी प्रणालियों, मुख्य रूप से अंतःस्रावी, प्रजनन, परिसचरण, श्वसन और पाचन तंत्र, में उत्तेजना लाता है।
- अंतःस्रावी ग्रथियों पर सूर्य नमस्कार का जो प्रभाव पड़ता है, वह बढ़ते बच्चों में बचपन और किशोरावस्था के बीच की अवधि को संतुलित करने में मदद करता है।
- मेरुदंड और कमर को ज्यादा लचीला बनाता है, बाँहों और कमर की मास्पेशियों को मजबूत करता है।
- पाचन में सुधार करता है, पेट के आसपास की चर्बी को कम करने में मदद करता है और इस तरह वजन कम करता है।